रक्षाबंधन पर उत्तराखंड में टूटेगी ये परम्परा- विश्व प्रसिद्ध देवीधुरा की बग्वाल इस बार नही खेली जाएगी

विश्व प्रसिद्ध मां बाराही धाम देवीधुरा की बग्वाल इस बार नहीं खेली जा सकेगी… रक्षाबंधन के दिन होने वाली इस ऐतिहासिक बग्वाल पर इस बार महज पूजा अर्चना ही की जाएगी.. इस दौरान मंदिर से जुड़े विशिष्ट लोग ही मंदिर क्षेत्र के मैदान की परिक्रमा करेंगे। यह पहली बार होगा जब मां बाराही धाम में बग्वाल नही खेली जाएगी। कोविड19 को देखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने ये निर्णय लिया है।
 प्राचीन मान्यता के अनुसार देवीधुरा में नरवेगी यज्ञ हुआ करता था.. जिसमें हर साल एक इंसान की बलि चढ़ाई जाती थी.. हर साल चढ़ने वाली पुरुष बली में अलग-अलग परिवारों को अपने एक सदस्य की बलि देनी होती थी.. लेकिन यह परंपरा तब बदली जब एक वृद्ध महिला के परिवार की बारी आई और उसके घर में एकमात्र उसका नाती ही पुरुष के रूप में मौजूद था.. अपने घर की बारी आने पर बेहद दुखी महिला ने मां बाराही का ध्यान किया और इस संकट की घड़ी में मां की प्रार्थना की। जिससे प्रसन्न होकर मां ने वृद्ध महिला को दर्शन दिए और तभी से मानव बलि की यह परंपरा बग्वाल के रूप में परिवर्तित हो गई।
 इस परंपरा के अनुसार अब 4 खाम और 7 तोकों के पुरुष बग्वाल के दिन यानी रक्षाबंधन के दिन एक दूसरे पर पत्थरों की बारिश करते हैं और इस दौरान इन पत्थरों से कई लोग चोटिल भी होते हैं.. इस तरह मानव बली से जुड़ी इस पुरानी परंपरा को इस तरह निभाया जाता है। इस बार कोरोना के कारण ये पहली बार हुआ है जब यह बग्वाल नहीं खेली जाएगी।

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