हाल ही में सुर्खियों में आए कथित विधानसभा भर्ती घोटाले में 228 पदों को निरस्त कर दिया गया था, जिसके बाद नौकरी से निकाले गए कर्मी आज विधानसभा के बाहर धरना देते नजर आए , बाहर किया गए कर्मियों की मांग है कि या तो उन्हें वापस नियुक्ति दी जाए वरना उन सभी भर्तियों को भी निरस्त किया जाए जो 2016 से पहले हुई हैं ।
कर्मियों ने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अपने पिता भुवन चन्द्र खंडूरी के वक्त हुई भर्तियों को बचाने के लिए अध्यक्षा ने 2016 के बाद की भर्तियों को निरस्त किया है
वहीं विधानसभा से बर्खास्त हुई एक महिला ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है , अब अपना घर कैसे चलाया जाए यह एक बड़ी समस्या बनकर उनके सामने खड़ी हो गई है, इस दौरान उनके आंसू भी छलक पड़े ।
सवाल ये है कि इस पूरे मामले में क्या इन लोगों को दोबारा नौकरी पर रखना सही है, और क्या इनकी मांगे जायज है, जबकि जांच रिपोर्ट में इन लोगों को गलत तरीके से नौकरी देने की बात सामने आ चुकी है। हालाकि ये बात भी सही है की विधानसभा में 2016 से पहले की भर्ती जो इसी तरह बिना नियमों के की गई उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि समान न्याय हो सके। साथ ही विधानसभा में नियमों के तहत परीक्षा करवा कर युवाओं को परीक्षा में बैठने का मौका भी जल्द से जल्द मिलना चाहिए ताकि बेरोजगार युवा अपनी काबिलियत के आधार पर विधानसभा में नियूक्ति पा सके और बैक डोर से उत्तराखंड में भर्ती का सिलसिला खत्म हो सके।