उत्तराखंड में ऊर्जा कर्मचारी हड़ताल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और हालात यह है कि ऊर्जा निगम प्रबंधन ने अब तक शासन को इस संदर्भ में कोई जानकारी ही नहीं दी है। जी हां सचिव ऊर्जा सौजन्य ने ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक दीपक रावत और संदीप सिंघल को एक ऐसा पत्र भेजा है जो वाकई इनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल सचिव ऊर्जा सौजन्य ने प्रबंध निदेशकों को चिट्ठी लिखकर यह साफ किया है कि उनके द्वारा शासन को ना तो कर्मचारियों की हड़ताल तोड़ने के लिए अब तक हुई वार्ता की कोई यथास्थिति उन्हें बताई गई है और ना ही कर्मचारियों की मांग पूरा करने के लिए कितने बजट की आवश्यकता होगी इसकी जानकारी दी गई है, जाहिर है कि इस पत्र में कुछ ऐसी बातें लिखी गई है जिससे यह साबित हो गया है कि कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने या विचार करने तक पर शासन को पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है, यह हाल तब है जब खुद ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत काफी पहले ही एक बैठक के जरिए कर्मचारियों की मांग को पूरा करने को लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दे चुके हैं। अब कर्मचारियों को चेतावनी देने वाले ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत को यह जरूर सोचना चाहिए कि उनके निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया और समय से शासन को सभी जानकारियां क्यों नहीं दी गई, इसके अलावा निगम प्रबंधन की तरफ से पूर्व में इस पर जानकारियां नहीं जुटाई जाने का भी ब्यौरा लेना जरूरी दिखाई दे रहा है। वैसे इसका फैसला तो ऊर्जा मंत्री को करना है लेकिन आप जिस तरह से आनन-फानन में तमाम चिट्टियां लिखी जा रही है उससे यह साफ है कि प्रबंधन में मान रहा है कि हड़ताल अब रोकी नहीं जा सकती और जल्दबाजी में तमाम बैठकें की जा रही है।