उत्तराखंड में शिक्षा विभाग उन महकमों में शामिल है जहां विभागीय कर्मचारी सरकार या विभाग के आदेशों के खिलाफ सबसे ज्यादा कोर्ट का रुख करते हैं। शिक्षा विभाग में कोर्ट से जुड़े मामलों की भरमार है और शिक्षकों का तमाम मामलों पर विभाग के फैसलों के खिलाफ कोर्ट जाना भी आम है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने शिक्षकों को नसीहत देते हुए उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले विभाग में ही समस्या का समाधान करने की बात कही है। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अपने कड़े रुख को इस बात के साथ जाहिर कर दिया कि शिक्षक और कर्मचारियों को आचरण नियमावली का पालन करना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने यह बात कहकर कर्मचारियों को भले ही सलाह देने की कोशिश की लेकिन यह एक सीधा संदेश भी था।
उन्होंने कहा कि शिक्षक पहले अपनी बात को विभाग के अंतर्गत उचित फोरम में रखें, यदि कोई समाधान नहीं मिलता है उस स्थिति में शासन स्तर पर अपनी बात को रख सकते हैं। कोर्ट किसी भी समस्या का विकल्प हो सकता है।
उधर दूसरी तरफ दिव्यांग व अक्षम शिक्षकों को वीआरएस देने के लिये शीघ्र एक समिति गठित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रत्येक अधिकारी को अपने क्षेत्रों में एक-एक विद्यालय गोद लेने के निर्देश दिये गये। चिंतन शिविर में विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न गतिविधियों पर प्रस्तुतिकरण दिया जबकि प्रत्येक जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने अपने जिलों में किये गये नवाचारी कार्यों की जानकारी दी। इसके अलावा शिक्षा अधिकारियों की समस्या और उनके सुझाव शिविर में लिये गये।