माल़सी रेंज के मराड़ी चक में गुलदार ने 10 साल के बच्चे पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया..ये मामला 25 फरवरी की रात का है..खास बात ये है कि इस घटना के बाद वन विभाग के कर्मचारी दिन-रात क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। एक तरफ जहां मराड़ी चक से गुर्जर परिवारों को फौरन हटा दिया गया था.. वही दहशत का पर्याय बने इस गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने इसी इलाके में अपना कैंप स्थापित कर दिया है। उप प्रभागीय वन अधिकारी के नेतृत्व में करीब 20 से 25 वन कर्मी इस क्षेत्र में लगातार गश्त कर रहे हैं। टीम में वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी, क्षेत्रीय रेंजर और मालसी,झाझरा,आशारोड़ी समेत मल्हान रेंज के वन कर्मचारी जान को खतरे में डालकर गुलदार की खोजबीन में जुटे हैं।
गुलदार की खोजबीन के लिए तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है..इसके लिए ड्रोन की मदद भी ली जा रही है इतना ही नहीं इलाके में हाई तकनीक कैमरे ट्रैप भी लगाए गए हैं। रात्रि गश्त के लिए CF शिवालिक, डीएफओ देहरादून और उप प्रभागीय वनाधिकारी ऋषिकेश उप वन प्रभाग भी पहुंचे और स्थितियों का जायजा लिया।
उधर दूसरी तरफ मृतक बच्चे के परिजनो को नियमानुसार राहत राशि का चैक भी दिया गया। मसूरी विधानसभा से विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने मृतक बच्चे के परिजन को 6 लाख के चैक दिए। दरअसल मानव वन्य जीव संघर्ष के तहत वन्य जीव द्वारा किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर सरकार ने 6 लाख की मुआवजा राशि घोषित की है। इसमें ₹4 लाख आपदा मद से जबकि ₹2 लाख राज्य सरकार द्वारा दिए जाते हैं।
गुलदार को ढूंढने में जुटी वन विभाग की टीम असलहा से लैस है, टीम के पास ट्रेंकुलाइज गन भी है ताकि गुलदार को पहले ट्रेंकुलाइज किया जा सके। इसके अलावा इलाके में पिंजरे भी लगाए गए हैं। हालांकि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन द्वारा गुलदार को करने के आदेश दिए जा चुके हैं।
एक दिन पहले ही इस घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद घटना को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को तलब किया था। विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में अधिकारियों से रिपोर्ट भी ली गई थी और मानव वन्य जीव संघर्ष के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के निर्देश भी दिए गए थे।