राहुल गांधी ने कहा था कि आज भारत में यह लड़ाई इस बात को लेकर है कि आने वाले समय में सिखों को एक सिख के तौर पर पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं? क्या एक सिख गुरुद्वारे जा सकेगा? यह लड़ाई राजनीति से नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह लड़ाई केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है। उन्होंने अन्य राज्यों का भी जिक्र किया और यह मंशा स्पष्ट की कि क्या भारत ऐसा देश नहीं बनना चाहिए जहां हर सिख और हर भारतीय बिना किसी डर के अपने धर्म का पालन कर सके?
एक सामाजिक और राजनीतिक सिख होने के नाते, मुझे राहुल गांधी जी की बात में कोई अपमानजनक शब्द या ऐसी टिप्पणी नहीं लगी जो हमारे सिख भाइयों और बहनों का अपमान करे। मैं उनके बयान से पूरी तरह सहमत हूं। पिछले 10 वर्षों में हमारे देश में सांप्रदायिक और धार्मिक आधार पर राजनीति की जा रही है। भाजपा द्वारा समाज को भाषा, धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर बांटा जा रहा है। सत्ता में बने रहने के लिए संकीर्ण सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है और निष्पक्ष आवाज उठाने वाले व्यक्तियों और समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। उन पर बेबुनियाद मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।
राहुल गांधी ने अमेरिकी दौरे के दौरान सिखों और अन्य राज्यों के लोगों के लिए जो कहा, वह आज हर राज्य में दिख रहा है। कई बार हमें शिकायत मिलती है कि सिखों को एयरपोर्ट, मेट्रो और थानों में उनकी पगड़ी, कड़ा और कृपाण के अपमान का सामना करना पड़ता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य परीक्षाओं के दौरान उनसे उनके धार्मिक चिन्ह हटाने की मांग की जाती है, जबकि संविधान में सिखों को अपने धार्मिक चिन्ह पहनने और रखने का अधिकार दिया गया है, जो आज कहीं न कहीं खंडित होता दिख रहा है।
देश के विभिन्न सिख संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और बुद्धिजीवी वर्गों ने राहुल गांधी जी की बात का समर्थन किया है। इससे भाजपा पूरी तरह से बौखलाई हुई है। भाजपा के कुछ गिने-चुने लोग और उनके सिख समाज के तथाकथित नेता तथ्य पदाधिकारी, आरएसएस की भाषा बोलते हुए राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। उन्हें मालूम है कि भाजपा में रहकर उन्हें सांप्रदायिक सोच के आधार पर ही बयान देना होगा। आज उसी क्रम में भाजपा के कुछ तथाकथित सिख समाज के लोग कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं।
सिख समाज, आजादी से लेकर अब तक, आरएसएस की “समाज बांटो और राज करो” की नीति को पहचानता है। आरएसएस और जनसंघ कभी भी सिखों का हितैषी नहीं रहे हैं। यह सर्वविदित है कि पिछले 75 वर्षों में जनसंघ और भाजपा पंजाब की सत्ता पर कभी भी राज नहीं कर सके।
सिख समाज एक जागरूक समाज है और वह भाजपा के किसी भी षड्यंत्र को सफल नहीं होने देगा। सिखों ने इस देश के लिए सैकड़ों कुर्बानियां दी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। सिख समाज ने सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान किया है, और यही हमारे गुरुओं का उपदेश रहा है – “मानस की जात एके पहचान बो”। सिख समाज हमेशा खुले विचारों के साथ आगे बढ़ा है। भारत विविधता का देश है और एकता इसकी पहचान है। हम संकल्प लेते हैं कि देश में विभाजनकारी और सांप्रदायिक विचारधारा को कभी सफल नहीं होने देंगे।