भाजपा में अभी मुख्यमंत्री को लेकर नहीं हुआ अंतिम निर्णय, दिल्ली पहुंचे ये दिग्गज, इन समीकरणों पर हो रही बात

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद को लेकर भले ही कई नामों को लेकर कयास बाजी लगाई जा रही हो लेकिन हकीकत यह है कि अभी पार्टी हाईकमान ने किसी एक नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगाई है यानी साफ है कि फिलहाल पार्टी किसी भी वरिष्ठ नेता को यह जिम्मेदारी दे सकती है। दिल्ली में हो रही बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा जरूर हो रही है लेकिन इस बैठक के खत्म होने के बाद भी किसी एक नाम के सामने आने की भी उम्मीद कम ही है। साफ है कि कल यानी रविवार को भाजपा हाईकमान किसी एक नाम पर अंतिम मोहर लगा लेगा। यही नहीं जिस नाम को फाइनल किया जाएगा, उसे भी कल शाम तक ही इसकी जानकारी मिल सकेगी। हालांकि माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक 21 मार्च को होगी और इस दिन मुख्यमंत्री के नाम को सार्वजनिक किया जाएगा।

इन तमाम खबरों के बीच ताजा खबर यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दिल्ली के लिए रवाना हो गए इसके अलावा देहरादून में प्रस्तावित बैठक को छोड़कर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी दिल्ली चले गए, जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत पहली ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे और उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की है। अब इस संदर्भ में खबर यह है कि यह सभी नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर लॉबिंग करने के लिए ही दिल्ली पहुंचे हैं। जाहिर है कि मुख्यमंत्री पद के लिए अंतिम फैसले में सबसे बड़ा रोल प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष का रहेगा। इसके अलावा संघ से लेकर प्रदेश महामंत्री संगठन से भी बातचीत की जाएगी। इन सब के फीडबैक के बाद अंतिम निर्णय होगा, वैसे आपको यह भी बता दें कि अभी यह नेता अपनी पैरवी या बात राष्ट्रीय अध्यक्ष और संघ से जुड़े कुछ लोगों के सामने ही कर पा रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से सीधे इस बारे में बात करने का मौका ना तो इन नेताओं को मिलने जा रहा है और ना ही उनके सामने इस तरह की बहुत ज्यादा बात की जा सकती है। कुल मिलाकर इस बार भी भाजपा मुख्यमंत्री को लेकर जो निर्णय लेगी वह सभी को चौंकाने वाला होगा।

अब मुख्यमंत्री बनाने को लेकर चल रही समीकरण की बात करें तो दो तरह के समीकरण इस समय दिखाई दे रहे हैं पहला उपचुनाव कराया जाए और कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी या राज्यसभा सांसद में से किसी को मुख्यमंत्री की कमान दे दी जाए। दूसरा समीकरण और मांग विधायकों में से ही किसी एक को मुख्यमंत्री चुनने की है। तो इस रेस में वह नेता काफी ज्यादा इच्छुक है जो खुद विधायक हैं और रेस में बने हुए हैं। इसमें सबसे पहला नाम धन सिंह रावत का ही है, सतपाल महाराज भी हर बार की तरह इस बार भी रेस में शामिल है। लेकिन यदि विधायक को मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो भी भाजपा हाईकमान के पास प्रयोग करने के लिए बहुत सारे चेहरे होंगे, पार्टी किसी भी युवा चेहरे पर दांव खेल सकती है। हालांकि इन सब पहलुओं पर विचार करने के बाद सबसे ज्यादा संभावनाएं इसी बात की है कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ही दोबारा मौका दिया जाए ऐसा करने से मुख्यमंत्री के लिए जो कई चेहरे सर उठा रहे हैं उनको आसानी से रायता फैलाने का मौका नहीं मिलेगा। वैसे पार्टी के ही कुछ जानकार लोग यह कहते हैं कि जो निर्णय अमित शाह, जेपी नड्डा या प्रधानमंत्री मोदी ले लेंगे उस पर कुछ कहने या करने की गुंजाइश नहीं रह जाएगी।

 

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