देहरादून की डोईवाला चीनी मिल ने पिछले कुछ सालों में कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं..जो घाटे की इस मिल को फायदे की तरफ ले गए.. आंकड़े बताते हैं कि डोईवाला चीनी मिल ने पिछले कुछ सालों में अपने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन को हासिल किया है.. खास बात यह है कि डोईवाला चीनी मिल में हालत सुधरने का सिलसिला धामी सरकार के आने के बाद से ही शुरू हुआ है.. हालांकि राज्य स्थापना के बाद ये मिल कुछ बेहतर स्थिति में आई थी लेकिन साल 2022 के बाद धामी सरकार के सत्ता में आते ही मिल ने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2024 – 25 में पराई सत्र के दौरान अबतक 17.5 कुंतल गन्ने की पेराई कर 1.5 लाख कुंतल चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। अब तक पराई सत्र में इस साल कुल बंदी मात्र 81 घंटे की ही हुई है.. उधर किसानों का 3270.78 लाख का भुगतान समिति के माध्यम से किया जा चुका है। जबकि इसी डोईवाला चीनी मिल में 1990 से 1995 के बीच कभी पेराई सत्र के दौरान 600 से 1000 घंटे तक की बंदी हुआ करती थी.. इसके बाद भी साल 2006 तक 400 से 500 घंटे की बंदी हुआ करती थी.. इसके बावजूद यह वह साल थे जब मिल का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रिकॉर्ड में रखा गया था.. लेकिन अब इन सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ते हुए न केवल कुल बंदी के समय को बेहद कम किया गया है बल्कि चीनी हानि को भी 2.09 तक लाया गया।
चीनी मिल डोईवाला के अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने मिल में एक तरफ किसानों के समय पर भुगतान को विशेष तवज्जो दी, साथ ही मॉनिटरिंग सिस्टम को ऑनलाइन करते हुए मशीनों की अधिकतम क्षमता के अनुसार चीनी का उत्पादन किया गया..जाहिर है कि धामी सरकार ने राज्य भर में चीनी मिलो की खराब होती स्थिति को सुधारने के लिए अफसरों को टारगेट दिए हैं और अच्छी बात यह है कि चीनी मिल डोईवाला के अफसरों और कर्मचारियों ने भी इन लक्ष्यों पर गंभीरता से काम करते हुए आंकड़ों के माध्यम से मिल की सफलता को सबके सामने रखा है।