कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में गदर मचा है, गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर किसानों ने जो हुड़दंग मचाया उसको देश ही नहीं दुनिया ने भी देखा… इस पूरे आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने पुलिस देखकर आंसू बहाए तो एक बार फिर यह आंदोलन खड़ा हो गया.. लेकिन राकेश टिकैत को लेकर उत्तराखंड में कुछ ऐसा इतिहास है जिसे कृषि मंत्री बताते हुए राकेश टिकैत की काबिलियत पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल उत्तराखंड में साल 2002 में कांग्रेस की सरकार आई, तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की अगुवाई में सरकार बनी तो इस दौरान किसान नेता महेंद्र टिकैत ने अपने बेटे राकेश टिकैत को सरकार में कहीं नौकरी देने की सिफारिश की.. नारायण दत्त तिवारी ने महेंद्र टिकट की शख्सियत को देखते हुए उनके बेटे राकेश टिकैत को उत्तराखंड सरकार में कृषि सलाहकार के रूप में जगह दी। लेकिन राकेश टिकैत ने इस नौकरी को 1 महीने भी संभाल कर नहीं रख सकता और राकेश टिकैत 1 महीने में ही नौकरी छोड़ कर चले गए। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने आज कृषि कानून पर हो रहे विरोध को लेकर बयान देते हुए कहा कि राकेश टिकैत को काम करने की आदत नहीं है और इसीलिए वह सिफारिश वाली नौकरी को भी एक महीने में ही छोड़कर चले गए थे।
*हिलखंड*
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