कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ कटान वन विभाग के कुछ अधिकारियों के गले की फांस बन गया है.. हालत यह है कि विभाग में एक ईमानदार अधिकारी से जांच कराने में महकमे के हाथ-पांव फूल रहे हैं.. मामला कोर्ट में अवैध निर्माण और पेड़ कटान से जुड़ा हुआ है, जिस पर पहले ही एनटीसीए की टीम ने अपनी स्थलीय निरीक्षण के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों की बात कही है और इस मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने तक की संस्तुति की गई है। लेकिन बावजूद इसके कॉर्बेट जैसे संवेदनशील वन्य जीव क्षेत्र में हुए गलत कार्यों को लेकर सरकार कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा पा रही है।
इस मामले में अब विभाग के बड़े अधिकारी भी इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि आई एफ एस संजीव चतुर्वेदी जैसे ईमानदार अधिकारी को इसकी जांच से दूर करने की कोशिश की गई है, यह बात इसलिए कही जा सकती है क्योंकि खुद संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक को एक पत्र लिखकर खुद को जांच दिए जाने के बाद इस मामले में विभागीय अधिकारी और जिम्मेदार लोगों के बयानों पर अपना संदेह व्यक्त किया है। अधिकारी ने इस मामले में जांच करने को तैयार होने की बात तो कही है लेकिन जिस तरह इस पर अधिकारियों के अलग-अलग बयान आ रहे हैं उसको लेकर असंतोष भी जताया है। लिहाजा IFS संजीव चतुर्वेदी ने इस स्थिति में इस मामले की जांच करने में असमर्थता जताई है।
आई एफ एस संजीव चतुर्वेदी अब तक कई मामलों की जांच कर चुके हैं और इन्वेस्टिगेशन को लेकर उनका अनुभव और कार्य क्मता बेजोड़ है। ऐसी स्थिति में इस ईमानदार अधिकारी को ऐसे गंभीर मामले में सीधे तौर पर जांच से दूर करना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
वैसे आपको बता दें कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समेत विभाग के मंत्री भी इस मामले में संजीव चतुर्वेदी को जांच दिए जाने के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहे हैं और यही से संरक्षित क्षेत्र में हुए काम को लेकर संदेह बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।