तो क्या शिक्षा विभाग में फिर हो गया खेल, अधिकारियों की मनमानी का नमूना

उत्तराखंड में चुनाव से पहले अधिकारियों की मनमानी का नया मामला सामने आ रहा है, दरअसल एक दिन पहले ही कुछ अधिकारियों और शिक्षकों की सूची जारी की गई जिन्हें नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रस्तावित प्रकोष्ठ में नियुक्तियां दी गई थी… हैरानी की बात यह है कि अभी प्रकोष्ठ के लिए भी मंजूरी नहीं मिली थी लेकिन इससे पहले ही इस प्रकोष्ठ में अधिकारियों और शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। खबर है कि इस विषय पर ना तो प्रकोष्ठ के गठन के लिए शिक्षा मंत्री से अनुमति ली गई और ना ही नियुक्तियों को लेकर कोई परामर्श किया गया। खास बात यह भी है कि इस मामले पर शिक्षा मंत्री बेहद ज्यादा नाराज हैं और उन्होंने शिक्षा सचिव से भी इस बात पर नाराजगी जाहिर की है। हालांकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रकोष्ठ गठित करने के निर्देश मिलने का हवाला दिया जा रहा है लेकिन फिर सवाल उठ रहा है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इतनी जल्दी बाजी क्या थी कि प्रकोष्ठ गठन की मंजूरी से पहले ही अधिकारियों को नियुक्त कर दिया गया, उधर बिना शिक्षा मंत्री के परामर्श लिए अधिकारियों और शिक्षकों की नियुक्ति आनन-फानन में क्यों की गई।

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