किशोर उपाध्याय पर हरीश रावत का पलटवार, यह दिया सार्वजनिक संदेश

मेरे एक अनन्य सहयोगी ने बहुत बार ये सार्वजनिक चर्चा छेड़ी है कि उन्हें #सहसपुर से षडयंत्रपूर्वक लड़ाया गया, उनके न चाहते हुए लड़ाया गया और यह घटनाक्रम 2017 के विधानसभा चुनाव का है। टिहरी जहां से वो लड़ते रहे हैं, उस सीट से कांग्रेस पार्टी ने अंतिम दम पर उनकी संस्तुति पर ही उम्मीदवार तय किया और लड़ाया। टिहरी के लोग बड़ी संख्या में आए भी, PCC में उपवास भी रखा और हमने पी.सी.सी. में जाकर के घोषणा की कि अब भी यदि वो मानते हैं तो हमें बड़ी खुशी होगी कि वो टिहरी से लड़ें। क्योंकि पार्टी उनको टिहरी के नेता के रूप में आज भी देखती है, पहले भी देखती रही है। निर्णय हमारे साथी का था, जब वो 2017 का चुनाव ऋषिकेश से लड़ना चाहते थे, सबने उनके इस संकेत का भी स्वागत किया। फिर डोईवाला, रायवाला का भी उन्होंने आकलन किया। स्क्रीनिंग कमेटी में सारे सदस्यों के सामने उन्होंने अपने परिवार के लोगों से पूछा कि मुझे कहां से लड़ना चाहिये और जब उधर से सुझाव आया कि सहसपुर से आप लड़िये तो उनके कहने के बाद ही स्क्रीनिंग कमेटी ने सहसपुर से उनका नाम फाइनल किया। अब यह षड्यंत्र न जाने कितना बड़ा हो गया है! ऐसा लगता है कि 2016-17 में हम और कुछ नहीं कर रहे थे, केवल उनके खिलाफ षड्यंत्र ही कर रहे थे। जब हम आगे बढ़ते हैं, तो उसमें बहुत सारे लोगों का हाथ होता है, सहयोग होता है, उन सबको षड्यंत्री समझ लेना कहां तक न्याय संगत है, इस पर लोग जरूर विचार करेंगे और मुझे दु:ख है कि बार-बार यह कहने से नुकसान हम ही को हो रहा है “कद्दू, छूरी में गिरे या छूरी, कद्दू में गिरे” नुकसान हमारा अपना ही है। मगर राजनीति के अंदर यदि आप मीठा सुन सकते हैं तो कभी-कभी कड़वा भी सुनना पड़ता है। देखते हैं, कहां तक संयम साथ देता है!

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