कॉर्बेट में कैसे होगी निष्पक्ष विजिलेंस जांच, निदेशक से लेकर डीएफओ तक कॉर्बेट में ही हैं तैनात

कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण से लेकर पेड़ों के कटान तक की जांच के लिए विजिलेंस जांच के आदेश कर दिए गए हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अवैध निर्माण पर अब तक ना तो निदेशक और ना ही किसी डीएफओ पर कार्रवाई तो दूर उनका यहां से तबादला तक नहीं किया गया है। मजे की बात तो यह है कि अवैध निर्माण की जानकारी दिल्ली से एनटीसीए की टीम कॉर्बेट प्रशासन को दे रही है, उधर कॉर्बेट के डायरेक्टर भी पार्क क्षेत्र में अवैध निर्माण की बात स्वीकारते हुए बने हुए ढांचे को गिराने के काम भी कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद गलती मानने वाले कॉर्बेट प्रशासन के किसी अधिकारी को छेड़ने तक की हिम्मत वन विभाग नहीं जुटा पा रहा है। जाहिर है कि इस अवैध निर्माण और कार्यों को लेकर मिलीभगत के आरोप ऊपर तक लगे हैं। लिहाजा इन अधिकारियों के स्थानांतरण तक पर ना तो शासन ने अब तक कोई निर्णय लिया है और ना ही वन विभाग ने।

अवैध निर्माण और पेड़ों को काटे जाने के मामले की जांच करेगी कि वन विभाग से बाहर विजिलेंस कर रही हो लेकिन यदि कॉर्बेट नेशनल पार्क में वही अधिकारी तैनात रहते हैं तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है। जिलाधिकारियों कि इस मामले में जिम्मेदारी बनती है ऐसे अधिकारी कॉर्बेट के कर्ताधर्ता बने हुए हैं और ऐसी स्थिति में विजिलेंस जांच भी करती है तो न केवल सही तथ्य छिपाए जा सकते हैं बल्कि दस्तावेज पाने में भी विजिलेंस को मुश्किलें आ सकती हैं हालांकि अभी इसकी जांच शुरू हुई है ऐसे में देखना होगा आने वाले दिनों में इस पर क्या वाकई निष्पक्ष जांच हो पाती है।

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