उत्तराखंड के वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी दे आखिरकार अपने स्थानांतरण को कोर्ट में चुनौती दे दी है। आपको बता दें कि मौजूदा सरकार में ही आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी को उनकी सीनियरिटी के आधार पर उन्हें हॉफ (हेड ऑफ फॉरेस्ट) बनाया था लेकिन इसके बाद कॉर्बेट में अवैध निर्माण के एक मामले के सामने आने के बाद उन्हें इस पद से स्थानांतरित कर जैव विविधता में भेज दिया गया। इस दौरान राजीव भरतरी ने सरकार के इस स्थानांतरण आदेश पर नाराजगी भी जाहिर की थी लेकिन शासन और सरकार की तरफ से उनकी इस नाराजगी और शिकायत का संज्ञान नहीं लिया गया उसके बाद अब उन्होंने हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दे दी है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण को लेकर कॉर्बेट प्रशासन सवालों के घेरे में हैं बावजूद इसके डायरेक्टर कॉर्बेट को उनके पद से नहीं हटाया गया यही नहीं इस मामले में एक डीएफओ को वन मुख्यालय अटैच किया गया लेकिन खबर है कि इस डीएफओ ने भी आदेश का पालन न करते हुए वन मुख्यालय में अपनी तैनाती नहीं दी इस तरह माना जा रहा है कि सरकार की तरफ से इस मामले को दबाने की कोशिश की गई और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की बजाए पीसीसीएफ राजीव भरतरी को ही स्थानांतरित कर दिया गया। जिस पर वन विभाग में भी गुपचुप रूप से कर्मचारियों और अधिकारियों में नाराजगी दिखी। बहरहाल इस स्थानांतरण को हाईकोर्ट में चुनौती देने के बाद आज इस मामले पर सुनवाई की जाएगी।
उधर सरकार इस स्थानांतरण के बाद पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में हेड बनाया गया है। बड़ी बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में आईएफएस लॉबी में भी जबरदस्त तनातनी दिख रही है। स्थिति यह है कि आई एफ एस एसोसिएशन तक ने सरकार को इस संबंध में पत्र लिख दिया था।
अब ऐसे में देखना होगा कि हाईकोर्ट इस पर सुनवाई के दौरान किस तरह के डायरेक्शन सरकार को देता है उधर कॉर्बेट में अवैध निर्माण को लेकर अपनी फजीहत करा रही सरकार इस पर क्या जिम्मेदार अधिकारियों को लेकर कोई कठोर कार्रवाई कर पाती है।