उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सरकारी अस्पतालों में जहां ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड पूरी तरह से फूल हो गए हैं तो वहीं से निजी अस्पतालों में अभी कई जगह बेड की उपलब्धता है। Dehradun जिलाधिकारी की तरफ से इसकी जानकारी देते हुए बताया गया है कि राजधानी के 7 निजी अस्पतालों में फिलहाल मरीजों के लिए बेड मौजूद हैं। यहां पर एस एम आई, एच आई एच टी, CMI , मैक्स, सिनर्जी, अरिहंत और वेलमेड में कुल 243 बेड आरक्षित किए गए हैं। दल को सरकार की तरफ से 70% बेड कोरोना के लिए आरक्षित किए गए हैं।
बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच राहत की ख़बर आई है. राज्य सरकार को केंद्र से रेमडिसिविर दवा के 3 हजार इंजेक्शन मिल गए हैं, जिन्हें बीते शुक्रवार देर रात ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने देहरादून के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों तक पहुँचा दिया है. कुछ अस्पतालों की मांग को देखते हुए दून अस्पताल ने अपना कोटा कम कर उनको अतिरिक्त दिए हैं.
ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी ने बताया जल्द ही इंजेक्शन की नई खेप भी आने वाली है. सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है. अगर अब भी कोई अस्पताल आपको रेमडिसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन को लेकर परेशान करे तो उसकी शिकायत करें, कालाबाजारी करने वालों को बढ़ावा न दें. कोई भी मेडिकल स्टोर प्रिंट रेट से ज्यादा पर दवाई देता है तो उसकी शिकायत करें.
क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन
रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है कोरोना की वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है और फिर मरीज को निमोनिया हो जाता है। रेमडेसिविर इंजेक्शन फेफड़े के इंफेक्शन से बचाता है. फेफड़े में संक्रमण के आधार पर रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जाते हैं. ज्यादा गंभीर स्थिति में एक मरीज को छह इंजेक्शन तक लगाने पड़ते हैं. ऐसे में इसकी मांग बहुत ज्यादा है और आपूर्ति उस अनुरूप नहीं है. चिकित्सक मरीज को इंजेक्शन लिख रहे हैं, पर स्वजन इसके लिए यहां-वहां भटक रहे हैं.
कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेमडेसिवीर की भी मांग बढ़ गई है, बीते दिनों लगभग 4 हजार से 5 हजार रुपये की कीमत वाले इस इंजेक्शन को लोग 8 से दस हजार तक में खरीदने को मजबूर हो रहे थे.
*हिलखंड*
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