प्रतिनियुक्ति के नाम पर नियम विरुद्ध मूल विभाग से दूरी बनाने वालों को झटका, वित्त विभाग ने जारी किया आदेश

उत्तराखंड मे प्रतिनियुक्ति के नाम पर दूसरे विभागों में मौज काटने वाले या लंबे समय तक जमे रहने वाले अधिकारियों को वित्त विभाग का आदेश तगड़ा झटका दे रहा है..सचिव वी षणमुगम ने प्रतिनियुक्ति/ बाह्य सेवा को लेकर निर्देश जारी किए है, वित्त विभाग के सचिव ने सभी प्रमुख सचिव, सचिव और मंडल आयुक्त समेत सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को पत्र लिख प्रतिनियुक्ति पर स्थित स्पष्ट की है..

दरअसल राज्य में अबतक प्रतिनियुक्ति को लेकर कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुआ है, और उत्तर प्रदेश का 1999 का आदेश ही वित्त विभाग मान रहा है.. इसके अनुसार प्रशासकीय विभागों द्वारा 3 साल के बाद प्रतिनियुक्ति की अवधि विस्तारित करने के प्रस्ताव वित्त विभाग को संदर्भित किए जाते हैं।

वित्त विभाग ने माना है कि मौजूदा प्रति नियुक्ति की स्थिति कई कठिनाइयां पैदा कर रही है और इसी को देखते हैं वित्त विभाग की तरफ से कुछ निर्देश जारी किए गए हैं।

प्रतिनियुक्ति/ बाह्य सेवा/ सेवा स्थानांतरण के लिए उन्हें कर्मचारियों अधिकारियों को भेजा जा सकता है जिन्होंने अपनी मूल तैनाती के 5 साल पूरे किए हो। इसकी समय अवधि 3 साल होगी, जिसे आगे 2 साल के लिए वित्त विभाग की पूर्ण सहमति से ही बढ़ाया जा सकेगा, इस तरह प्रतिनियुक्ति या बाह्य सेवा के लिए कुल सेवा अवधि 5 साल की ही होगी। जिस किसी भी दशा में आगे नहीं बढ़ाया जा सकेगा।।

 

खास बात यह है कि प्रतिनियुक्ति पर 5 साल पूरा करने वाले यह कर्मचारी आगे के 5 साल कूलिंग पीरियड में रहेंगे यानी अगले 5 साल मूल तैनाती पूरी करने के बाद ही वह दोबारा प्रतिनियुक्ति ले सकेंगे। इतना ही नहीं किसी भी कर्मचारी और अधिकारी को अपनी पूरी सेवा में केवल दो बार ही प्रतिनियुक्ति या सेवा स्थानांतरण का लाभ दिया जाएगा।।

 

इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि 5 साल की सीमा के बाद मूल विभाग और जिस विभाग में प्रतिनियुक्ति होनी है वह विभाग संबंधित कार्मिक की सहमति से प्रतिनिधि को बढ़ाना चाहता है तो उसके लिए दिए जाने वाले प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति से अनिवार्य रूप से अनुमोदन लेना होगा।।

 

वित्त विभाग बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले कर्मियों को राहत देते हुए 5 साल की सीमा इन पर लागू नहीं होने का प्रावधान रखा है इसमें मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति का अनुमोदन मात्र अनिवार्य होगा।

 

जो कर्मचारी और अधिकारी प्रतिनियुक्ति या सेवा स्थानांतरण पर जाना चाहता है उसे प्रशासनिक विभाग द्वारा संबंधित कर्मचारियों के स्थाईकरण उसके मूल विभाग कीअनापत्ति, कर्मचारी के विरुद्ध किसी प्रकार की न्यायिक,प्रशासनिक और अनुशासनिक कार्यवाही प्रचलित ना होने संबंधी प्रमाण पत्र आदि प्रस्तुत करने होंगे। उधर प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले कर्मचारियों को उनका मूल विभाग कभी भी बुला सकता है।

 

जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए मैच 5 साल का समय रह गया है ऐसे कर्मचारियों को प्रतिनिधि या सेवा स्थानांतरण पर तैनाती नहीं दी जाएगी इसके अलावा प्रतिनिधि के दौरान जिनकी सेवानिवृत्ति के लिए 5 साल शेष रह गए हैं उन्हें भी अनिवार्य रूप से मूल विभाग में वापस बुलाया जाएगा।

उत्तराखंड में लगातार ये बात सामने आती रही है कि तमाम कर्मी मूल विभाग से जाने के बाद वापसी नहीं करते, हालांकि वित्त ने बाह्य परियोजनाओं में छूट देखकर कई कर्मियों को राहत दी है।