उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों का विरोध जारी है इस मामले पर राज्य सरकार पहले ही अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है और इससे संबंधित रिपोर्ट भी सरकार को सबमिट की जा चुकी है। लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि 30 नवंबर तक सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने से संबंधित निर्णय ले सकती है। हालांकि सरकार के इस आश्वासन और मिली उम्मीद के बावजूद भी तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारी विरोध को जारी रखे हुए हैं।
चर्चा है कि देवस्थानम बोर्ड के विरोध को लेकर तीर्थ पुरोहितों और हक्कू धारियों द्वारा बनाई गई महापंचायत में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में हराने के लिए चुनाव लड़ने तक जैसे विषय पर भी चर्चा हुई है, हालांकि इस मामले में गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों ने सीधे तौर पर इस खबर को नकारा है और चुनाव नहीं लड़ने या लड़वाने की बात कही है। तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि महापंचायत देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ बनाई गई थी और यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है लिहाजा चुनाव लड़ने या किसी को समर्थन देने की कोई बात ही नहीं। वैसे आपको बता दें कि करीब 10 से 12 सीटें तीर्थ पुरोहित और हकूक धारियों से प्रभावित होती हैं।