Exclusive-सड़क दुर्घटनाओं की मजाक उड़ाती मजिस्ट्रियल जांचे, प्रशासन के लापरवाह रवैये का सुबूत बने आंकड़े

उत्तराखंड में अधिकारियों के लिए मानव संवेदनाएं शायद कुछ खास मायने नहीं रखती… शायद यही कारण है कि प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर सिर्फ जांच के आदेश होते हैं लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाता… उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के लिए हुई मजिस्ट्रियल जांचों के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। आप जानते हैं कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बेहद ज्यादा रहती है। सड़क दुर्घटनाओं की मजिस्ट्रियल जांच कर यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि दुर्घटनाओं की आखिरकार वजह क्या है.. ताकि सरकार स्तर पर हुई किसी भी खामी को सुधारा जा सके। या सड़क दुर्घटनाओं की वजह पर काम कर इन दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। लेकिन इससे बड़ा मजाक किया होगा कि उत्तराखंड में दुर्घटनाओं की मजिस्ट्रियल जांच तो की जाती है लेकिन उसका अंत सालों साल तक नहीं होता। और जब तक यह जांच खत्म होती है, तब तक उन्ही कमियों के चकलते दूसरे कई लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गवा देते हैं।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में साल 2020 में 445 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है, इसी साल 685 दुर्घटनाओं में 550 लोग घायल भी हुए हैं। साल 2019 में कुल 153 मामलों पर हुई मजिस्ट्रियल जांच में से मात्र 54 पर ही अब तक जांच पूर्ण हो पाई है। जबकि 99 मामले ऐसे हैं जिनकी जांच अब तक ठंडे बस्ते में ही है।

 

 

 

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