उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण को लेकर तमाम दबावों के बाद भी दोषी अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि हाई कोर्ट तक भी इस मामले का संज्ञान ले चुका है और समय-समय पर जरूरी दिशा निर्देश भी दिए गए, बावजूद इसके वन विभाग की जिम्मेदारी संभाले शीर्षस्थ अधिकारी सब देखकर भी आंखें मूंदे दिखाई दे रहे हैं। परिस्थितियों को देखते हुए शायद हाईकोर्ट ने एक बार फिर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं… यही नहीं जल्द ही इस संबंध में जवाब भी मांगा गया है।
आपको बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण की पुष्टि खुद रिजर्व के निदेशक राहुल की इस कार्यवाही से साबित हुई है जिसमें उन्होंने अवैध निर्माण को ध्वस्त करते हुए बकायदा इस पर एक पत्र भी जारी किया। ऐसे में सवाल यह है कि जब अवैध निर्माण को विभाग के अधिकारी खुद ध्वस्त कर रहे हैं तो फिर इसके दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। डीएफओ रहे किशन चंद इस मामले में जांच के घेरे में रहे हैं इसके अलावा सीधी जिम्मेदारी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल की भी रही है लेकिन शासन से लेकर वन विभाग में बैठे बड़े अधिकारी इन पर कार्रवाई करने से बचते हुए दिखाई दे रहे हैं स्थिति यह है कि पिछले दिनों विभाग के मुखिया राजीव भरतरी को तो बदल दिया गया लेकिन टाइगर रिजर्व के निदेशक को बदलने की हिम्मत नहीं जुटाई जा सकी।
उधर किशनचंद को लेकर बताया जा रहा है कि उन्हें मुख्यालय में अटैच तो किया गया लेकिन आज तक उन्होंने रेंज को नहीं छोड़ा है यानी आदेशों की भी अवहेलना होती हुई दिखाई दी है अब सवाल यह उठ रहा है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के लिए सबसे पहली जिम्मेदारी डीएफओ और निदेशक की ही बनती है और यदि इन दोनों को हटाने तक की हिम्मत नहीं जुटाई जा पा रही तो फिर कार्यवाही की बात तो बहुत दूर है। बहरहाल अब कोर्ट ने जिस तरह से एक बार फिर इस मामले का संज्ञान लिया है उसके बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि शायद आप अपनी पुरानी गलती को विभाग के अधिकारी सुधार सकेंगे।