उत्तराखंड में ऊर्जा कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल के जरिए सरकार को कुछ हद तक उनकी मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर किया तो सरकार ने भी आश्वासन का लॉलीपॉप देकर कर्मचारियों को वापस काम पर लौटा दिया। कर्मचारियों से सरकार 1 महीने का समय लिया और फिर किए गए वादे को पूरी तरह से भूल गए.. यह सब बातें जुलाई से अगस्त के बीच का वह घटनाक्रम है जो ऊर्जा कर्मियों और सरकार के बीच दिखाई दिया है। दरअसल ऊर्जा कर्मचारियों की मांगों को लेकर शायद सरकार बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है इसे इस रूप में भी कहा जा सकता है कि ऊर्जा कर्मचारियों के हड़ताल के इरादे को लेकर सरकार को कुछ संदेह भी है, यही कारण है कि ना तो ऊर्जा कर्मचारियों की हड़ताल की धमकी से सरकार डर रही है और ना ही कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए कोई कदम आगे बढ़ाया जा रहा है। बहरहाल निगमों के प्रबंध निदेशक ने फिर एक बार सितंबर तक का वक्त कर्मचारियों से मांग लिया है प्रदेश के लिए अच्छी बात यह है कि कर्मचारी मन से इस वक्त को देने के लिए तैयार भी दिख रहे हैं। यानी अभी सरकार के पास इन कर्मचारियों की मांगों को लेकर विचार करने के लिए कुछ और समय बाकी है। हालांकि इस सबके बीच सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए कर्मचारियों ने कुछ प्रदर्शन और विरोध के कार्यक्रम तय किये हैं। इसमें 28 अगस्त का वादा निभाओ दिवस मनाने का कार्यक्रम भी शामिल है।
*हिलखंड*
*उत्तराखंड में कोरोना से राज्य को आज भी रही राहत -*