ब्राह्मण चेहरे को लेकर लॉबिंग में जुटे नेता, पूर्व मंत्री सुबोध और चुफाल ने ये बताई देरी की वजह

उत्तराखंड के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला यूं तो भाजपा हाईकमान ने कर लिया है, लेकिन वह चेहरा कौन सा होगा इसकी सार्वजनिक घोषणा कल विधानमंडल दल की बैठक के बाद ही की जाएगी। भाजपा विधानमंडल दल की बैठक कल शाम 5:00 बजे भाजपा कार्यालय में होने जा रही है। जहां भाजपा के सभी विधायकों को मौजूद रहने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

दिल्ली में किसी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए भी कुछ नेताओं की तरफ से पैरवी की गई है, माना जा रहा है कि ऐसा किसी सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। दरअसल ब्राह्मण चेहरे के रूप में ऐसे कम ही देता है जिनकी पहुंच हाईकमान तक है और जिनको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने पैरवी की गयी है। मुख्य तौर पर देखें तो इसमें दो ही नाम दिखाई देते हैं पहला गढ़वाल से अनिल बलूनी है तो दूसरा कुमाऊ से अजय भट्ट है। बताया जा रहा है कि भाजपा हाईकमान फिलहाल लोकसभा के किसी भी सीट पर उपचुनाव कराने के मूड में नहीं है लिहाजा अनिल बलूनी की ही प्रबल दावेदारी ब्राह्मण चेहरे के रूप में दिखाई देती है।

दिल्ली में प्रदेश के बड़े नेताओं के नामों को लेकर अलग-अलग खेमे भी बन चुके हैं। बताया जा रहा है कि पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में रमेश पोखरियाल निशंक और सतपाल महाराज जैसे नेताओं ने खुलकर आना शुरू कर दिया है। हालांकि इन दोनों ही नेताओं की प्राथमिकता पहले खुद मुख्यमंत्री बनने की है लेकिन ऐसा नहीं होने की स्थिति में इन्होंने पुष्कर धामी का समर्थन करने का भी फैसला किया है। खबर है कि दूसरे खेमे के रूप में अनिल बलूनी त्रिवेंद्र सिंह रावत और मदन कौशिक जैसे लेता खड़े दिखाई दे रहे हैं। जानकारी मिल रही है कि धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री नहीं बनाने के पक्ष में एक खेमें ने अपनी बात रखी है। यही नही यही खेमा पुष्कर धामी को भी दोबारा मौका नही दिए जाने पर अड़ा है। इस तरह ये खेमा किसी नए चेहरे को जिम्मेदारी देने की मांग कर रहा है।

साफ है कि अब मुख्यमंत्री कौन बनने जा रहा है वह इन दोनों खेमों की ताकत पर निर्भर करने वाला है। यानी या तो धामी फिर सीएम बनेंगे या भी अनिल बलूनी के अलावा कोई बिल्कुल नया चेहरा मुख्यमंत्री के पद पर काबिज होगा। दिल्ली में राजनीतिक नूरा कुश्ती के लिहाज से ये बात तय लग रही है।

बहरहाल कल के कार्यक्रम को देखें तो सुबह 11:00 बजे विधानसभा में विधायकों की शपथ करवाई जाएगी जबकि शाम 5 बजे विधानमंडल दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा की जाएगी। इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि 22 या 23 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह करवाया जाएगा। दरअसल 25 मार्च को उत्तर प्रदेश में शपथ ग्रहण समारोह है लिहाजा उससे पहले ही प्रदेश में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम है। दूसरी तरफ विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च तक का ही है।

मुख्यमंत्री के चेहरे को ढूंढने में इतना समय क्यों लग रहा है इसके पीछे भी दिल्ली से लौट कर आए नेताओं का अपना तर्क है हाल ही में दिल्ली हाईकमान से मिलकर आए सुबोध उनियाल कहते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक लगने के चलते इस प्रक्रिया को पार्टी की तरफ से जानबूझकर शिथिल किया गया था जबकि दूसरी तरफ दिल्ली से ही लौट कर आने वाले पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पार्टी इस बार ऐसा व्यक्ति तलाश रही है जो सरकार को पूरे 5 साल तक चला सके।-सूत्र

 

LEAVE A REPLY