उत्तराखंड में स्कूलों को तीन चरणों में खोले जाने की तैयारी की जा रही है.. ऐसे भी निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों से भी जिलाधिकारियों द्वारा उनकी राय ले जाने की बात कही गई है लेकिन निजी स्कूल संचालकों ने स्कूलों को खोले जाने पर सवाल खड़े करते हुए अब सरकार से यह पूछा है कि यदि स्कूल खोले जाने के बाद शिक्षकों व छात्रों को कोरोना होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। राज्य में स्कूलों को खोले जाने के लिए शिक्षा विभाग फिलहाल तैयारी कर रहा है और तीन चरणों में स्कूलों को खोले जाने पर भी अंतिम निर्णय ले लिया गया है.. लेकिन इससे पहले ही निजी स्कूलों के संचालकों ने सवाल पूछ कर सरकार के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है दरअसल निजी संचालकों का कहना है कि यदि स्कूल खोलने के बाद बच्चों को कोरोनावायरस तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। ऐसा तो नहीं कि बच्चों या शिक्षकों को करोना होने पर स्कूल संचालक या स्कूल प्रबंधन के खिलाफ ही कार्यवाही कर दी जाए। स्कूल संचालकों का कहना है कि इसके लिए अभिभावकों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह बच्चों को ठीक से समझाएं और उन्हें नियमों के तहत पालन करने के लिए ठीक से तैयार करके भेजें। इसके लिए निजी संचालकों ने बकायदा एक पत्र लिखकर सरकार से इसके मद्देनजर जानकारी भी मांगी है। उधर स्कूल खोलने की स्थिति में शिक्षकों को भी कोरोनावायरस घोषित कर उनका बीमा किए जाने की मांग की गई है। प्राइवेट स्कूल संचालक प्रेम कश्यप ने सरकार के सामने 5 मांगे रखी हैं जिसमें उन्होंने शिक्षकों को करो ना वार ईयर घोषित करने के साथ ही उनका इंश्योरेंस कराना वाह किसी भी छात्र का करो ना प्लीज पास जाने पर उसके अभिभावक की जिम्मेवारी तय करने की मांग रखी है उन्होंने कहा कि यदि कोई भी छात्र कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो जिम्मेवार उसके अभिभावक होंगे नाकि स्कूल प्रबंधन।