यदि आप कोरोना की जांच कराना चाहते हैं तो आप प्राइवेट लैब की तरफ रुख मत कीजिए, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को लेकर आंकड़े अब आम लोगों को आगाह कर रहे हैं.. दरअसल उत्तराखंड हेल्थ बुलेटिन में जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। यूं तो निजी लैबों की विश्वसनीयता पर कई लोग सवाल खड़े करते रहे हैं..लेकिन अब कोरोना जांच में जो आंकड़े आ रहे हैं उससे प्राइवेट लैब फिर सवालों के घेरे में हैं। दरअसल आरोप लगाए जाते हैं कि निजी लैब में रिपोर्ट में हेराफेरी होती है, हालाकिं इसका अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। लेकिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जो संख्या निजी लैब से सामने आ रही है उससे सवाल जरूर खड़े होने लगे हैं। बीते कल यानी 9 सितंबर को आए हेल्थ बुलिटिन पर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि कैसे सरकारी लैब के तुलना में निजी लैब में कोरोना के मरीजों की संख्या बेहद ज्यादा है।
राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं ऐसे में यदि यहां पर सरकारी और निजी लैब की तुलना करें तो आंकड़े इस तरह हैं…
8 सितंबर को सरकारी लैब में कुल 587 सैंपल लिए जिसमें 114 सैंपल पॉजिटिव निकले, उधर प्राइवेट लैब ने 555 सैंपल लिए जिसमें 134 सैंपल पॉजिटिव आए।
9 नवंबर को सरकारी लैब में कुल 976 सैंपल आए जिसमें 133 सैंपल पॉजिटिव थे, उधर निजी लैब ने 480 सैंपल लिए जिसमें से 118 सैंपल पॉजिटिव थे।
भले ही यह 2 दिन में लिए गए सैंपल और पॉजिटिव रेट हो लेकिन लगातार इसी तरह के आंकड़े पॉजिटिव केस के सामने आ रहे हैं। यदि हम बीते 24 घंटे की ही बात कर ले तो 9 सितंबर को जहां सरकारी अस्पताल में पॉजिटिव केस आने का रेट 13.62% था तो वहीं प्राइवेट लैब में 24.58% लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। जबकि 8 सितंबर को प्राइवेट लेब की स्थिति और खराब थी। तभी तो ये कहा जा रहा है कि कोरोना का टेस्ट प्राइवेट लैब में मत कराना।