एक जिंदादिल व्यक्तित्व और वाइल्ड लाइफ के लिए हर पल जीने वाले रवि जोशी आज हमारे बीच में नहीं है.. बेजुबानों को जिंदगी देने वाले रवि जोशी का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता.. मुझे याद है कि रवि जोशी से जब भी वाइल्ड लाइफ की बात की जाती थी तो वह कैसे उत्सुकता के साथ अपने अनुभवों को हमारे साथ साझा करते थे। वन विभाग में रेस्क्यू टीम को हेड करने वाले रवि जोशी को इतने कम वक्त में हम खो देंगे कभी सोचा भी नहीं था.. लेकिन ऊपर वाला भी शायद अच्छे लोगों को अपने पास ही रखना चाहता है और इसीलिए रवि जोशी जैसे शख्स को कम उम्र में उसने ऊपर बुला लिया। रवि जोशी मुंह के कैंसर से जूझ रहे थे एक लंबे समय से रवि जोशी का इलाज चल रहा था और एक बार तो लगा कि वह कैंसर की गिरफ्त से बचने में कामयाब भी हो गए हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं और कैंसर ने धीरे-धीरे उन्हें अपने आगोश में ले लिया.. इस दौरान वे कैंसर से पीड़ित थे और जिंदगी के लिये जंग लड़ रहे थे, मुझे याद है कि उस दौरान भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी, उन्हें मुंह का कैंसर था इसलिए वह कैंसर बढ़ने पर बोल नहीं पा रहे थे इसके बावजूद व्हाट्सएप पर उनका संवाद हमेशा जारी रहा और वाइल्डलाइफ को लेकर जब भी उनसे कोई जानकारी ली गई और वह व्हाट्सएप पर हाजिर जवाब रहे।
रवि जोशी ने अपने जीवन में न जाने कितने बेजुबानों की जान बचाई, बंदर, कई तरह के सांप, लेपर्ड और कई तरह के परिंदे भी उन्होंने रेस्क्यू किए हैं। खतरनाक जानवरों को पकड़ने के लिए भी रवि जोशी हमेशा आगे रहे जान को खतरे में डालकर उन्होंने कई जानवरों को रेस्क्यू किया है, उनकी हिम्मत को इसी से समझा जा सकता है कि उन्हें करीब तीन बार सांप ने भी काटा लेकिन उनका ये जुनून जारी रहा।
रवि जोशी को लेकर वाइल्डलाइफ में उनके योगदान की जितनी तारीफ की जाए वह कम है, आज जो उन्हें जानते हैं वो समझ सकते हैं कि वाइल्डलाइफ को उनके जाने से कितना बड़ा नुकसान हुआ है। हिलखंड रवि जोशी को श्रधांजलि देते हुए बेजुबानों के इस मसीहा को सलाम करता है।