उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तबादला नीति तो बनी लेकिन इसके बावजूद चाहे तो को मनमाफिक स्थान पर नियुक्ति देने की गड़बड़ियां नहीं रुक पाई है। राज्य में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसके चलते सरकार की स्थानांतरण नीति ही सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है। यूं तो कहने को एक सामान्य शिक्षक का तबादला करने के नाम पर विभागीय मंत्री से लेकर शासन स्तर तक पर नीति का हवाला दिया जाता है लेकिन जब बात चहेतों को मनमाफिक नियुक्ति देने की हो तो यह सभी नीतियां बिसरा दी जाती हैं। ताजा मामला विस्थापन के आधार पर तबादला करने से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार को शिक्षकों की भूमि का अधिग्रहण किया गया तो धारा 27 के तहत इन शिक्षकों को इसी विस्थापन के आधार पर स्थानांतरित कर दिया गया। कमाल की बात यह तो यह है की शासन के जिम्मेदार अधिकारी से लेकर विभाग के मंत्री तक तबादलों में अपनी भूमिका नही होने का इशारा करते हुए.. गड़बड़ी होने पर कार्यवाही का दावा कर रहे हैं। यही नहीं बताया जा रहा है कि न केवल स्थानांतरित शिक्षक के स्थानांतरण को कैंसिल करने की तैयारी है बल्कि जिन अधिकारियों के हस्ताक्षर से यह तबादले किए गए उन पर भी कार्यवाही करने की बात कही गई है। धारा 27 के तहत कई बार शिक्षक अपने तबादलों के लिए एड़िया किस तरह जाते हैं लेकिन यदि आपके पास पहुंचे तो स्थानांतरण करवाना आसान हो जाता है मौजूदा स्थितियों को देखकर तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि तबादलों को लेकर सवाल खड़े किया तेरे हो इससे पहले भी कई दफा तबादलों पर सवाल खड़े किए गए हैं और शासन को इसके बाद बैकफुट पर भी आना पड़ा है सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षकों की तरफ से ही विभाग में हो रहे गलत तबादलों के मामले उठाए जा रहे हैं और भारी दबाव के बाद जा कर राशन और विभागीय मंत्री के स्तर पर ऐसे तबादलों का संज्ञान लिया जा रहा है।
यदि आपके संज्ञान में भी तबादलों के ऐसे गलत मामले हैं या कोई गलत काम हो रहा है तो हिलखंड खबर न केवल ऐसे मामलों को उठाने का काम करेगा बल्कि मुख्यमंत्री और तमाम जिम्मेदार लोगों तक भी ऐसे मामले को ले जाएगा।
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