फिलहाल वन महकमे में लटकी DPC की प्रक्रिया, शासन में आखिरकार DPC पर क्या हुआ?

उत्तराखंड वन विभागम में अधिकारियों के प्रमोशन की प्रक्रिया आज होते होते रुक गई.. सचिवालय में DPC प्रक्रिया को लेकर जो कुछ हुआ, वो आज विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है..हुआ कुछ यूं कि शाम 5 बजे सचिवालय में DPC के लिए समय रखा गया.. मुख्य सचिव से लेकर प्रमुख सचिव और वन विभाग के मुखिया बैठक के लिए पहुंच गए.. शासन के सचिवालय सेवा से जुड़े अधिकारी भी फाइलों का तामझाम लेकर बैठक में आए..लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि बैठक आगे बढ़ ही नहीं सकी।

उत्तराखंड वन विभाग में PCCF के लिए DPC आहूत की गई थी..प्रयास ये था कि इसके साथ APCCF पर भी DPC करवा ली जाए.. एक तो इसी महीने PCCF पद से सेवानिवृत हुए विजय कुमार के चलते एक पद रिक्त हुआ, दूसरा सरकार ने PCCF पर एक्स कैडर की व्यवस्था हुई है..लिहाजा कपिल लाल को PCCF पर और IFS मीनाक्षी जोशी को APCCF पर लाने का प्लान था..DPC बैठक में इस पर मुहर लगती इससे पहले ही नई बात सामने आ गई।

प्रक्रिया यह है कि खाली पद पर एक महीने पहले केंद्र से पत्राचार कर DPC की अनुमति लेनी होती है..एक माह में अनुमति नहीं भी मिली तो जवाब ना आने पर इसे स्वीकृति मानकर DPC कर ली जाती है, लेकिन यहां सूत्र बताते हैं कि शासन ये प्रक्रिया पूरी करना भूल गया। अब सवाल ये उठ रहा है कि यदि इस वजह से DPC नहीं हो पाई तो मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वन और प्रमुख वन संरक्षक हॉफ का इतना कीमती वक्त किसकी गलती से जाया हुआ।

क्या इस प्रक्रिया की जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी नहीं थी? यदि थी तो क्यों इसका पालन नहीं किया गया? और DPC अधूरी रहने की यदि यही वजह है तो गलती करने वाले अधिकारी को क्या माफ कर दिया जाएगा? ये सब सवाल इस पर निर्भर करते है कि शासन इस मामले को कितना गंभीर मान रहा है.. और मुख्य सचिव समेत दूसरे बड़े अधिकारियों का कीमती वक्त बर्बाद करना शासन के लिए कितना गंभीर है?