उत्तराखंड में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यूं तो पहले ही 16 विधानसभा सीटों पर पार्टी को कमजोर बता चुके हैं और इन सीटों पर पार्टी के तीन बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय होने की बात कह चुके हैं, लेकिन इनके अलावा सात ऐसी विधानसभा है जिन पर पार्टी को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि पार्टी के अपने ही इन सीटों पर मुसीबतें बढ़ाने में जुटे हुए हैं ऐसे में पार्टी की अब सबसे बड़ी कोशिश इन सभी 7 विधानसभाओं में अपने मैनेजमेंट को बेहतर करना है ताकि विरोध के उठ रहे सुरों को पार्टी के पक्ष में लाया जा सके।
प्रदेश में इन 7 विधानसभाओं की बात करें तो ऋषिकेश विधानसभा में शूरवीर सिंह सजवान पार्टी के प्रत्याशी के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं इसी पर पहले ही भाजपा के प्रेमचंद अग्रवाल जैसे मजबूत चेहरे के सामने चुनाव जीतना मुश्किल है ऐसे में शूरवीर सजवान का इस सीट पर उठना पार्टी के लिए बड़ी परेशानी बना हुआ है।
दूसरी विधानसभा यमुनोत्री है जहां पर 2017 में कांग्रेस के प्रत्याशी संजय डोभाल ने निर्दलीय ताल ठोक दी है और इस सीट पर अब कांग्रेस का जीतना इस बगावत के बीच काफी मुश्किल होता जा रहा है।
तीसरी विधानसभा लाल कुआं है जहां संध्या डालाकोटी ने पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है यूं तो इस सीट पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मैदान में हैं लिहाजा कांग्रेस के लिए यह सीट मुफीद है और इतने बड़े चेहरे के साथ पार्टी जीती हुई नजर आ रही है लेकिन लाल कुआं से संध्या का चुनाव में मैदान में उतरना हरीश रावत को भी परेशान कर रहा है।
रामनगर विधानसभा में कांग्रेस के बागी संजय नेगी ने भी निर्दलीय ताल ठोक दी है और पर्चा भरने के साथ ही कांग्रेस के प्रत्याशी की मुसीबतें इस सीट पर बढ़ गई है।
बागेश्वर विधानसभा सीट पर बालकृष्ण ने कांग्रेस से हटकर निर्दलीय रूप से पर्चा भरा है घनसाली में भीम लाल आर्य ने भी कांग्रेस के प्रत्याशी से हट कर निर्दलीय पर्चा भर लिया है