उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड पर मचे घमासान के बाद एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में मैदान में डट गए हैं तो वही तीर्थ पुरोहितों के दबाव के चलते सरकार इस मामले पर बैकफुट में दिखाई दे रही है। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उत्तरकाशी दौरे के दौरान देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार के लिए हाई पावर कमेटी गठित करने तक की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद भाजपा के अंदर घमासान मचने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल त्रिवेंद्र सरकार के दौरान प्रदेश के विभिन्न तीर्थ स्थलों के संचालन के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था और अब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सरकार में लिए गए इस फैसले के पक्ष में खुलकर सामने आ गए उन्होंने साफ किया है कि देवस्थानम बोर्ड आम लोगों और तीर्थ स्थलों की भलाई के लिए बनाया गया है। यदि इस में कुछ खराबी है तो तीर्थ पुरोहित और कोई भी व्यक्ति इस खराबी को जाहिर करे। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया है कि देवस्थानम बोर्ड से प्रदेश के तीर्थ स्थलों का कायाकल्प होगा और आने वाले 10 सालों बाद यह तीर्थ स्थल अपने एक नए स्वरूप में दिखाई देंगे। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को खत्म किए जाने का सीधे तौर पर विरोध भी किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस रुख से साफ है कि यदि सरकार देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ पुरोहितों के हक में निर्णय लेती है या फिर इस बोर्ड को भंग किया जाता है तो त्रिवेंद्र सिंह रावत इसके खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच सीधी जंग भी छिड़ सकती है। उधर तीर्थ पुरोहितों के बढ़ते दबाव के चक्कर में स्थानीय भाजपा विधायक भी सरकार पर इस मामले में निर्णय लेने का दबाव बना रहे हैं जाहिर है कि चुनाव नजदीक हैं और चुनाव को देखते हुए ना तो विधायक और ना ही सरकार इस मामले पर कोई भी खतरा मोल लेना नहीं चाहते।
*हिलखंड*
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