हरीश रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस में मचे बवाल को लेकर दिल्ली हाईकमान के साथ बातचीत से हरीश रावत की नाराजगी तो दूर हो गई लेकिन उन्हें दिल्ली से जो आश्वासन मिला उसके बाद उनके शब्दों में घमंड की अनुभूति हुई, हालांकि हरीश रावत हाईकमान से वही बात एश्योर करवा कर आए जो पहले से तय थी। फिर भी हरीश रावत गुट की खुशी किसी के समझ में नहीं आई। ऐसा बताया गया कि कोई जंग जीतकर हरीश रावत दिल्ली से आ रहे हैं इसीलिए पार्टी के कार्यकर्ता भी यह कहते हुए सुनाई दिए कि आखिरकार हरीश रावत को ऐसा क्या मिल गया और उन्होंने किसको हराया है। बरहाल अपने नेतृत्व में चुनाव लड़ने की जो बात उन्होंने कही उसमें घमंड शब्द हमने नहीं बल्कि खुद हरीश रावत ने कहा है हरीश रावत ने कहा कि जो बात उन्होंने नेतृत्व को लेकर कहीं उसमें घमंड झलकता है और वह अब इसके लिए माफी मांगना चाहते हैं वैसे हरीश रावत की पहली बार माफी नहीं मांग रहे हैं समय-समय पर वह अपनी गलती का इजहार करते रहे हैं कभी अपने बेटे बेटी को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाने कभी उन्हें विधायक का टिकट नहीं दिलवाने और अलग-अलग मामलों को लेकर उनकी माफी चर्चाओं में रही है कुल मिलाकर हरीश रावत माफी के जरिए भी राजनीतिक स्टंट करने का तरीका जानते हैं और शायद उनसे बेहतर उत्तराखंड में राजनीतिक पैदल चलने वाला कोई नहीं है।