ऊर्जा निगम कर्मचारियों की बड़ी मांग हुई पूरी, कर्मचारियों का संघर्ष आया काम

ऊर्जा निगम कर्मचारियों की एक बड़ी मांग आखिरकार पूरी कर दी गई है राज्य सरकार ने इस मामले पर शासन से आदेश के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद आज यह आदेश जारी कर दिया गया। दरअसल कर्मचारियों की एसीपी की मांग 2017 से चली आ रही थी जिसको लेकर कर्मचारी संघर्षरत थे। कर्मचारियों की 9, 5, 5 की इस मांग को पूरा कर दिया गया है खास बात यह है कि कर्मचारियों की इस मांग को पूरा करने में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का बड़ा रोल रहा है, यही नहीं ऊर्जा निगम के नए प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव के सकारात्मक रुख के बाद आखिरकार कर्मचारियों को उनकी मांगें पूरी करवाने में मदद मिली। उधर उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि के अनुसार ऊर्जा के तीनों निगमों की पहचान पूर्ववर्ती ACP 9-14 -19 की मांग को पूरा करने के लिए राज्य के  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,  ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्तराखंड एस0एस0 संधू, अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा)  राधा रतूड़ी जी, तीनों निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल जी, अनिल यादव व प्रबंधन के अन्य सभी अधिकारियों कर्मचारियों का हार्दिक धन्यवाद आभार।

संगठन को उपरोक्त सभी से अपेक्षा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि जिस तरह से तीनों निगमों के नियमित कार्मिकों की ACP की मांग को पूरा किया गया निश्चित रूप से निगमों में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को नियमित करने का साहसिक निर्णय यथाशिघ्र लिया जाएगा।

उपर्युक्त विषय के क्रम में उल्लेख करना है कि शासनादेश संख्या 1199/1 (2)/2017-05-34 / 2016, दिनांक 25 सितम्बर, 2017 द्वारा ऊर्जा विभाग के नियंत्रणाधीन तीनों निगमों के कार्मिकों को पूर्व में अनुमन्य समयबद्ध वेतनमान / ए०सी०पी० की व्यवस्था को अतिक्रमित करते हुए संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना (एम०ए०सी०पी०एस०) वित्त विभाग के शासनादेश संख्या- 11/XXVI (7) 30 (14)/2017 दिनांक 17 फरवरी, 2017 में निहित प्राविधानों के अनुसार दिनांक 01.01.2017 से लागू की गयी थी। इसी अनुक्रम में शासनादेश संख्या-1585/1(2)/2017-05-34/2016, दिनांक 22 दिसम्बर, 2017 द्वारा वेतन संरक्षण का लाभ भी प्रदान किया गया था।

2 उपरोक्त के सम्बन्ध में प्रबन्ध निदेशक, उपाकालि के पत्र संख्या-1052/ प्र0निदे० / उपाकालि / सातवां वेतन आयोग (एफ-2) दिनांक 10.02.2017 पत्र संख्या- 811 / प्र0निदे० / उपाकालि / एफ-2 दिनांक 23.01.2019 प्रबंध निदेशक, पिटकुल के पत्र संख्या – 203 / मा०स० / प्र०नि० / अनु/ पिटकुल / पी-3, दिनांक 16.02.2017, पत्र संख्या-1096 / मा०स०एवंप्र०नि० / पिटकुल / पी-3, दिनांक 31.07.2019 तथा प्रबंध निदेशक, यूजेवीएनएल के पत्र संख्या – 41 / यूजेवीएनलि / प्र०नि० दिनांक 14.02.2017 पत्र संख्या-5412 / यूजेवीएनएल / प्रा०नि० / शासन-6(डी), दिनांक 13.08.2019 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा तीनों निगमों के निदेशक मण्डल से पारित वेतन बैण्ड एवं वेतन लेवल / पे-मेट्रिक्स अनुमन्य कराते हुए दिनांक 01.01.2016. से वर्तमान समय में कार्यरत तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों की सेवा में प्रतिकूल परिवर्तन न किये जाने के दृष्टिगत दिनांक 31.12.2016 तक लागू ए०सी०पी० की व्यवस्था सीधी भर्ती (Induction Post) की नियुक्ति तिथि से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय क्रमशः 09 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पूर्व में प्रचलित व अनुमन्य पे-मैट्रिक्स में (नॉन फंक्शनल वेतनमान की उपेक्षा करते हुए) दिनांक 01.01.2017 से भी यथावत अनुमन्य कराये जाने के सम्बन्ध में इस प्रतिबन्ध के साथ उपलब्ध कराया गया। कि भविष्य में भर्ती होने वाले कार्मिकों के सम्बन्ध में यह व्यवस्था स्वतः लागू नहीं होगी।

कार्यरत तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों की सेवा में प्रतिकूल परिवर्तन न किये जाने के दृष्टिगत दिनांक 31.12.2016 तक लागू ए०सी०पी० की व्यवस्था सीधी भर्ती (Induction Post) की नियुक्ति तिथि से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय क्रमश: 09 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पूर्व में प्रचलित व अनुमन्य पे-मैट्रिक्स में (नॉन फंक्शनल वेतनमान की उपेक्षा करते हुए) दिनांक 01.01.2017 से भी यथावत् अनुमन्य कराये जाने की एतद द्वारा श्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति निम्न प्रतिबन्धों के अधीन प्रदान करते हैं:

1. निगमों के कार्मिकों को उक्त व्यवस्था अनुमन्य किये जाने पर वित्तीय व्ययभार निगमों द्वारा अपने संसाधनों से वहन किया जायेगा तथा इस हेतु शासन द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं दी जायेगी और निगमों द्वारा मित्तव्ययता सुनिश्चित करते हुए संसाधनों में वृद्धि सुनिश्चित की जायेगी।

2. निगमों में भविष्य में भर्ती होने वाले कार्मिकों के सम्बन्ध में यह व्यवस्था स्वतः लागू नहीं होगी। 3. निगमों द्वारा राज्य सरकार के प्रति वार्षिक देयता एवं इस आधार पर वर्तमान तक देय अवशेष भी शासन को दिया जाना सुनिश्चित किया जायेगा।

4. साथ ही शासनादेश संख्या- 1585 / 1 (2)/2017-05-34/2016, दिनांक 22 दिसम्बर, 2017 के अनुपालन में किये गये वेतन निर्धारण से लाभ प्राप्त कर चुके कार्मिकों से कोई प्रत्याप्ति (Recovery) नहीं की जायेगी।

 

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