उत्तराखंड उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के विरोध पर अपना दो टूक संदेश दिया है। अशासकीय महाविद्यालयों को दिए जाने वाले अनुदान पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने साफ किया है कि या तो महाविद्यालय में नियुक्ति प्रक्रिया को सरकार के लिहाज से करवाया जाए या फिर महाविद्यालय नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के खर्चे को खुद वहन करें। उच्च शिक्षा से जुड़े एक कार्यक्रम में मीडिया के सवाल पर धन सिंह रावत ने सीधा संदेश देते हुए शिक्षकों के विरोध पर सरकार के स्टैंड को क्लियर कर दिया है। इस दौरान धन सिंह रावत ने मीडिया से भी सवाल पूछते हुए कहा कि क्या सरकार कुछ गलत कर रही है और जब सरकार को अनुदान देना है तो फिर नियुक्ति सरकार के लिहाज से क्यों न की जाए। यदि इस बात से महाविद्यालय असहमत है तो वे अपने खर्चे की व्यवस्था खुद कर ले। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि यह तीन व्यवस्थाएं एक साथ नहीं चल सकती कि संबद्धता केंद्र से हो, अनुदान राज्य सरकार दे और नियुक्ति का अधिकार महाविद्यालय को हो। धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि शिक्षकों की नियुक्ति लोक सेवा आयोग से की जाएगी और जो भी शिक्षक यहां पर तैनात हैं उनको कोई दिक्कत नहीं होगी और राज्य सरकार से उन्हें वेतन मिलेगा।
आपको बता दें कि अमरेला एक्ट में अशासकीय महाविद्यालयों को लेकर एक ही नियम से जोड़ने का फैसला किया है और इसमें अशासकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ाया गया है।
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