उत्तराखंड में शिक्षकों के लिए विभाग से राहत भरी खबर है.. शिक्षा विभाग में अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर अब तक चल रही असमंजस की स्थिति को शासन ने साफ कर दिया है। दरअसल प्रदेश में विभिन्न विभागों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर आदेश होने के बाद शिक्षा विभाग में भी शिक्षक इस मामले पर घबराहट में थे.. उधर निदेशालय स्तर से जिला शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों के चिल्ली करण को लेकर दिए गए पत्र के बाद शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ था। लेकिन अब शासन में सचिव शिक्षा विभाग मीनाक्षी सुंदरम ने स्थिति स्पष्ट करते हुए यह साफ कर दिया है कि किसी भी शिक्षक को महज 50 साल से ज्यादा उम्र होने पर ही जबरन रिटायरमेंट नहीं दिलाया जाएगा। शिक्षा सचिव ने यह साफ किया है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर उन्हीं शिक्षकों को चिन्हित किया जाएगा जो 50 साल से अधिक उम्र के होने के साथ ही अपने काम को बखूबी नहीं निभा रहे हैं। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए तय किए गए मानक के आधार पर ही शिक्षकों को सेवानिवृत्ति दी जाएगी। सेवानिवृत्ति के मामले में डाउट वाले मामले में शिक्षक के पक्ष में फैसला लिया जाएगा। यानी शिक्षक की सेवा को लेकर यदि कोई असमंजस की स्थिति है तो उस पर शिक्षक का ही पक्ष मजबूत माना जाएगा।
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