उत्तराखंड वन विभाग में इन दिनों संरक्षित क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने और कथित अवैध रूप से पेड़ काटने के मामले में हड़कंप मचा हुआ है, दरअसल इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में पीआईएल के जरिए रखा गया है जबकि नैनीताल हाईकोर्ट ने उसका स्वत संज्ञान लेते हुए इस पर 8 नवंबर तक वन विभाग से जवाब मांगा है। खास बात यह है कि 22 अक्टूबर को एनटीसीए और पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में अपनी रिपोर्ट देकर मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए इसके बाद 29 अक्टूबर को शासन ने प्रमुख वन संरक्षक और वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी को पत्र लिखकर इस मामले में जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
खबर यह है कि प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने इस मामले में मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी को जांच अधिकारी नामित कर जांच के आदेश दे दिए, यही नहीं 2 हफ्ते में इस मामले में जांच रिपोर्ट भी सबमिट करने के लिए कहा गया है।
आपको बता दें कि पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ काटे जाने को लेकर जांच की जानी है। यहां पर कॉटेज के अलावा एक आलीशान भवन का निर्माण किया गया है जो कि संरक्षित क्षेत्र में अवैध बताया गया है इस मामले में पहले ही रेंजर पर कार्यवाही की जा चुकी है, उधर डीएफओ से लेकर वन मुख्यालय में वाइल्डलाइफ के अधिकारी भी इस मामले में सीधे तौर पर दोषी दिखाई देते हैं हालांकि संजय चतुर्वेदी की रिपोर्ट के बाद बिंदुवार स्थिति स्पष्ट हो पाएगी लेकिन एनटीसीए ने जिस तरह से साइड इंस्पेक्शन रिपोर्ट दी है उसके बाद माना जा रहा है कि वन मुख्यालय के बड़े अधिकारियों पर भी कथित अवैध निर्माण की तलवार लटक सकती है, उधर वन मुख्यालय स्तर पर इस निर्माण को लेकर किस-किस ने परमिशन दी, यह भी काफी अहम होगा और ऐसे अधिकारियों पर भी कार्यवाही किए जाने की बात सामने आ रही है। बशर्ते कि इस मामले में कोई भी लिपापोती ना हो।