हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में जाने से पहले ही विधायक अपने टिकट को लेकर कुछ चिंतित दिखाई दे रहे हैं, इस बार राजनीतिक समीकरण कुछ बदले हुए हैं और इन नए समीकरणों में भाजपा के विधायकों की चिंताएं टिकट पाने को लेकर कुछ ज्यादा दिखाई दे रही है उधर कांग्रेस के विधायक टिकट को लेकर आश्वस्त हैं। दरअसल भाजपा ने 2017 में प्रचंड बहुमत पाकर 57 सीटें जीती थी, इस प्रचंड बहुमत में लोगों को उम्मीदें भी भाजपा से बेहद ज्यादा रहीं, लिहाजा चुनाव के दौरान एंटी इनकंबेंसी भी बेहद ज्यादा रहने की उम्मीद जताई जा रही है ऐसे में भाजपा अपने स्तर से सर्वे के बाद विधायकों की परफॉर्मेंस को भी चेक कर रही है। मरा जा रहा है कि इस बार उत्तराखंड के स्थापना के बाद भाजपा विधायकों के सबसे ज्यादा टिकट काटने जा रही है। यह संख्या 10 से 20 के बीच में बताई जा रही है। टिकट कटने वाले विधायकों में सबसे ज्यादा संख्या पहाड़ी जिले के विधायकों की रहने की उम्मीद है… इसमें पौड़ी जिले से लेकर टिहरी, चमोली और कुमाऊं के जिले शामिल है, कुमाऊं में नैनीताल उधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में टिकट काटे जा सकते हैं।
टिकट काटे जाने का बड़ा कारण चुनाव से पहले होने वाला दलबदल भी है बताया जा रहा है कि कांग्रेस से कई चेहरे भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं ऐसे में जो लोग भाजपा में शामिल होंगे उनके दलबदल से भाजपा के नेताओं के टिकट कटने तय हैं। वैसे खबर यह भी है कि परफॉर्मेंस को लेकर भाजपा की तरफ से जो आकलन किया गया है उसमें कई विधायकों की स्थिति उनके क्षेत्रों में खराब मानी जा रही है। जाहिर है कि ऐसे लोगों को भाजपा चुनावी मैदान में उतारने से बचेगी।
दूसरी तरफ लगातार कांग्रेस छोड़ रहे हैं नेताओं को देखते हुए कांग्रेस के मौजूदा विधायक टिकट को लेकर आश्वस्त थे और पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जिस तरह से बयान दिया उसके बाद यह तय हो गया है कि विधायकों के टिकट इस बार नहीं कटने जा रहे हैं वैसे प्रदेश में कांग्रेस के अब महज 9 ही विधायक रह गए हैं, यानी कांग्रेस की संख्या अब इकाई पर ही सिमट गई है।
*हिलखंड*
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