कोरोनेशन स्थित कैथलैब का अधिग्रहण करने से क्यों बच रही सरकार, अब पीपीपी मोड पर ब्लैकलिस्टेड कंपनी को काम देने का आरोप

उत्तराखंड में दिल के मरीजों को राहत देने के लिए सरकार के स्तर पर कोई खास काम नहीं किया गया है, हालत यह है कि पहाड़ों में तो कहीं भी ऐसे मरीजों के लिए ईसीजी करवाने तक की सुविधा नहीं हैं.. गढ़वाल मंडल में राज्य सरकार के स्तर पर फोर्टिस के साथ अनुबंध कर पिछले 11 सालों से कोरोनेशन स्थित कैथलैब को संचालित किया जा रहा है। लेकिन जरूरतमंदों को आसानी से यह भी इलाज मिलना मुश्किल दिखाई देता रहा है। हालांकि अब दिक्कत है इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि यह अनुबंध मार्च में खत्म होने जा रहा है और नया अनुबंध मेडिट्रीना अस्पताल के साथ कर लिया गया है। हालांकि इस अनुबंध के साथ ही इस संस्थान पर कई आरोप लगने शुरू हो गए हैं और खुद भाजपा के नेता नहीं इस कंपनी के कुछ राज्यों में ब्लैक लिस्ट होने की बात कह दी है। यही नहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इस संस्थान के पिछले खराब ट्रेक रिकॉर्ड की जानकारी दी गई है। भाजपा के नेता की तरफ से ही टेंडर में चयनित संस्थान पर आरोप लगाने से स्वास्थ्य विभाग पर भी सवाल खड़े हुए हैं। ऐसे भी सवाल उठ रहा है कि जब सरकार के पास कैथ लैब को संचालित करने की पूरी व्यवस्था है तो फिर सरकार खुद क्यों नहीं इसे अधिग्रहित कर रही। इससे ना केवल गरीबों को भी दिल की बीमारी में बेहतर इलाज मिलेगा बल्कि मुनाफा कमाने के चक्कर में आने वाली इन कंपनियों की मनमर्जी भी खत्म हो सकेगी।

वैसे आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव नितेश झा की तरफ से राज्य सरकार द्वारा ही इस कैथ लैब को संचालित करने का पूरा प्लान तैयार कर लिया गया था। यही नहीं निजी अस्पताल के एक सीनियर चिकित्सक को भी दून अस्पताल में जोइनिंग दिलाई गई। लेकिन पीपीपी मोड में ही इस व्यवस्था को रखने कि न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी रही की सचिव के तौर पर नितेश झा के हटते ही यह पूरा प्लान धराशाई हो गया। दरअसल अटल आयुष्मान योजना के तहत हार्ट पेशेंट को किसी निजी संस्थान के साथ पी पी पी मोड पर इलाज मिलना काफी मुश्किल हो जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि योजना के तहत दिल के मरीजों को विभिन्न सर्जरी में जो दरें तय की गई है उससे पीपीपी मोड पर काम करने वाले संस्थान ज्यादा मुनाफा नहीं ले पाते। लिहाजा इसके लिए सबसे बेहतर यही है कि सरकार कैथ लैब को अधिग्रहित कर ले और खुद प्रदेश के ऐसे मरीजों के इलाज देने की गारंटी ले।

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