उत्तराखंड वन विभाग गड़बड़ियों और लापरवाहियों का महकमा क्यों बनता जा रहा है, यह सवाल अब आम हो चला है..महकमें में न तो अनुशासन दिख रहा है और ना ही आईएफएस अधिकारियों की काम मे दिलचस्पी.. महकमे के हालात इस कदर खराब हो रहे हैं कि एक के बाद एक लापरवाही भरे आदेश भी जारी किए जा रहे हैं। नया मामला सीनियरिटी के आधार पर प्रमोशन से जुड़ा है। मजाक देखिए कि इतने बड़े महकमे में प्रमोशन सूची जारी होती है और इसमें सीनियरिटी भूला दी जाती है। जब इस गलती की याद दिलाई जाती है, तब आईएफएस अधिकारी को अपनी गलती याद आती है। सवाल उठता है कि क्या विभाग में होमवर्क करने की परंपरा खत्म हो गई है। हाल ही में वन दरोगा प्रमोशन से तो कुछ यही नज़र आता है। सीनियर ऑफिसर मनोज चंद्रन प्रमोशन सूची जारी करते हैं और उसमें सीनियरिटी भूल जाते हैं.. लगता है विभाग का आदेश नही किसी छात्र की कॉपी है गलती की और फिर उसे मिटा दिया। हाल ही में हुए कुछ तबादला आदेश पर भी यही किया गया। कहने को तो आईएफएस अधिकारी है लेकिन नियमों और एक्ट की कोई परवाह नही..अब महकमे या पार्क में गड़बड़ियों की ही बात कर लीजिए..बाघों की मौत, पेड़ कटान, सरकारी धन का दुरुपयोग सब मामले हैं विभाग में…लेकिन करीब 30 जांच ठंडे बस्ते में..लगता है आईएफएस अधिकारी चाहते ही नही कि विभाग में गड़बड़ी करने वाले पकड़े जाए। अब जिस विभाग में राजाजी नेशनल पार्क से कैमरे और ड्रोन गायब होने पर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग यह जवाब दे की चोरी तो घरों में भी हो जाती है। समझा जा सकता है कि ऐसे विभाग में आई एफ एस अधिकारियों की सोच क्या है।
विभाग के मुखिया हरक सिंह रावत हैं..तेजतर्रार और दबंग है लेकिन उनकी भी यहां नही चलती..आईएफएस अधिकारी उनकी मानते ही नही..ऐसा नही होता तो प्रमोशन के बाद मंत्री को ही क्यों प्रमोशन पर रोक के आदेश करने पड़ते, यानी उनकी तो इजाजत लेना भी विभाग को पसंद नही.. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जीरो टॉलरेंस पर आने वाला चुनाव लड़ने वाले हैं लेकिन जो जांचे विभाग में ठंडे बस्ते में डाली गई है..उस ओर किसी का ध्यान ही नही.. जंगल के बेजुबान मारे जा रहे हैं जांचों में विभाग के अधिकारियों के नाम आ रहे हैं और सब चुप है। कुछ तो गड़बड़ है..और इस गड़बड़ का पता तभी चल पाएगा जब कर्मकार कल्याण बोर्ड की तरह वन विभाग में भी एक स्पेशल ऑडिट बाहर की एजेंसी से करवाया जाए। देखना यह होगा कि कब तक वन विभाग और सचिवालय में बैठे अधिकारी गहरी निद्रा से जागते हैं।