कंगाल कर देगी ये व्यवस्था, शिक्षा महकमे का ये मामला दिखा रहा आईना

उत्तराखंड राज्य जिसे अपनी हर नई योजना के लिए केंद्र की मदद की दरकार होती है.. जहां कोविड-19 के दौर में विधायकों और कर्मचारियों की तनख्वाह से धन जुटाया जाता है… जिस प्रदेश में मितव्ययता का राग अलाप कर सरकारें जनता का ध्यान आकर्षित करती है… ऐसे ही आर्थिक संसाधनों से कंगाल राज्य में करोड़ों रुपयों की संभावनाओं को दरकिनार किया जा रहा है। मामला शिक्षा विभाग का है जहां एससीईआरटी और डायट के ढांचे को गठित करने के बाद सरकार नियमावली बनाना सालों से भूली हुई है।  कमाल की बात यह है कि सरकार जानती है कि यदि नियमावली बन जाती है तो करोड़ों रुपया तनख्वाह के रूप में राज्य को मिलेगा यानी एससीईआरटी और डायट में काम करने वाले कर्मियों की तनख्वाह की जिम्मेदारी केंद्र उठाएगा। लेकिन इस सब के बावजूद भी 8 से 10 करोड़ रुपया राज्य सरकार कर्मचारियों की सैलरी देने में खर्च कर रही है….

पूरी कहानी यह है कि फिलहाल एससीईआरटी और डायट का ढांचा बन चुका है जिस पर शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षक पदस्थ है.. जिनकी तनख्वाह उत्तराखंड सरकार ही देती है.. यदि राज्य सरकार नियमावली बनाती है तो केंद्र के लिहाज से बनाई गई नियमावली में अलग से कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी जिनकी तनख्वाह केंद्र ही भेजेगा।। लेकिन ऐसे हालातों में फिलहाल बड़े-बड़े पदों पर देहरादून और जिला मुख्यालयों पर 13 शिक्षकों और अधिकारियों को इससे हटना होगा।।  वित्त सचिव अमित नेगी के लिखे गए पत्र के लिहाज से बस यहीं पर पेंच फस जाता है।। पत्र के अनुसार शिक्षक और अधिकारी इन पदों से नहीं हटना चाहते और इसी निजी हित के चलते इस नियमावली को बनाए जाने में हीला हवाली की जा रही है। जिसके चलते हर साल 8 से ₹10 करोड़ रुपयों का राज्य को वहन करना पड़ रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी रकम के इस गंभीर सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह इसे राजकाज का नाम देकर डालना चाहते हैं। उधर शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम साहब सालों से  लटके इस मामले में एक दो हफ्तों का वक्त मांग रहे हैं।।

इस मामले में सरकारों की भूमिका बेहद निराशाजनक रही तो शासन स्तर पर लिखी गई इस चिट्ठी के बावजूद भी इसका संज्ञान में लेने वाले शिक्षा महकमे के अधिकारी भी कम दोषी नहीं है। यदि चिट्ठी में लिखी बात शत प्रतिशत सही है तो सालों से लटके नियमावली के इस मामले में अब तक कई करोड़ रुपए की बेवजह फिजूलखर्ची शिक्षा महकमे ने की है।

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