सशक्त उत्तराखंड के लिए नैनीताल में होगा चिंतन शिविर, ब्यूरोक्रेसी का आर्थिक, सामाजिक विकास के साथ आगामी लक्ष्यों पर होगा महामंथन

मुख्यसचिव बनने के बाद आनंदवर्धन ब्यूरोक्रेसी के साथ मिलकर पहली बार राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास पर महामंथन करने वाले हैं..इस दौरान प्रदेश के आगामी लक्ष्यों को भी चिंतन शिविर में चर्चा के लिए लाया जाएगा..दरअसल उत्तराखंड में चिंतन शिविर की तैयारी की जा रही है। इसी महीने 25 से 27 अप्रैल के बीच तीन दिवसीय चिंतन शिविर प्रस्तावित किया गया है। यह चिंतन शिविर आरएस टोलिया उत्तराखंड अकैडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन नैनीताल में किया जायेगा।

चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहेंगे। खास बात यह है कि चिंतन शिविर के लिए कुछ अहम विषय भी तय किए गए हैं जो राज्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें नीति आयोग, सेतु आयोग, समेत निजी क्षेत्र के कुछ एक्सपर्ट भी रहेंगे।

तीन दिनों तक चलने वाले इस चिंतन शिविर में पर्यटन और आयुष वेलनेस विषय पर चर्चा की जाएगी, इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीण रोजगार, कृषि जैसे विषय पर भी बात होगी। शिविर में कौशल विकास पर भी अब तक के प्रयासों को रखा जाएगा और रोजगार की संभावनाओं पर भी बात होगी। शहरी विकास पर भी विभागीय अधिकारी और एक्सपर्ट अपनी बात रखेंगे।

इसमें खासतौर पर उत्तराखंड के लक्ष्यों को लेकर भी बातचीत की जाएगी। इससे पहले इसी तरह का चिंतन शिविर मसूरी में भी हो चुका है.. पूर्व मुख्य सचिव एसएस संधू ने उस समय अधिकारियों को सख्त लहजे में समस्या नहीं समाधान का संदेश दिया था। इस बार सबकी नजर मुख्य सचिव आनंद वर्धन पर रहेगी, क्योंकि यह पहला मौका होगा जब मुख्य सचिव बनने के बाद वह ब्यूरोक्रेसी से आगामी लक्ष्यों को लेकर खुले मंच पर बात करने वाले हैं। बड़ी बात यह है कि रिजल्ट बेस्ड परफॉर्मेंस को लेकर चिंतन शिविर में कितना फोकस किया जाता है और आनेवाले दिनों मे ऐसी बैठकों का क्या असर होता है ये भी देखना अहम होगा।

उधर ब्यूरोक्रेसी को इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्या संदेश देंगे ये भी अहम होगा। क्योंकि पिछली बैठक में उन्होंने “जो मछली मुंह खोलेगी वो फंसेगी” की एक लाइन से काफी गहरा संदेश देने की कोशिश की थी। इस बार संदेश क्या होगा इसका शायद ब्यूरोक्रेसी को भी इंतजार रहेगा।