उत्तराखंड कांग्रेस में यू तो कभी भी कुछ ठीक नहीं रहता लेकिन कोरोनाकाल में पार्टी के एक नेता ने कुछ ऐसी बात कही की निष्क्रिय पड़ी अनुशासन समिति अचानक उठ खड़ी हुई…बहरहाल कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय भट्ट ने कांग्रेस पर क्षेत्रीय समीकरण को नज़रन्दाज करने का आरोप लगाया था। यही नही पहाड़ी प्रदेश में गढ़वाली और कुमाउनी लोगों को किसी भी अहम पद पर नही रखने तक का आरोप लगाया… जिस तरह इस मामले पर कांग्रेस ने सक्रियता दिखाई है उससे यह लगता है कि कांग्रेस भी संजय भट्ट के इस आरोप से कुछ खौफजदा थी… शायद इसीलिए पार्टी को नुकसान होने के डर से फौरन इस पर कार्यवाही की गई जबकि पुराने कई मामलों पर अब तक इतनी कठोर कार्रवाईयां नही की गई। अब ये भी देखिए किइस निष्कासन के बाद संजय भट्ट का क्या मत है।
*संजय भट्ट*
मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि आज #राम मंदिर भूमि पूजन, शिलान्यास के ऐतिहासिक दिन पर #कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखण्ड श्री #प्रीतम सिंह, (जौनसारी ST), अनुशासन समिति के अध्यक्ष श्री #प्रमोद कुमार सिंह (जाट) एवं महामंत्री श्री #विजय सारस्वत मूल निवासी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनन्त प्रेम से कांग्रेस से मुझे 6 साल के लिए निष्कासित किया गया।
अब मेरी कांग्रेस से मिलने वाली 60 हजार महीना, वेतन, भत्ते, गाड़ी बंगला छीन लिया जाएगा!
असल मे कांग्रेस देश मे बहुसंख्यक हिन्दू और उत्तराखण्ड में बहुसंख्यक गढ़वाली कुमाऊनी से लगातार दूरी बना रही है।
समझने के लिए मेरी 1 अगस्त की यह पोस्ट पढ़ें, जिसके कारण मुझे सिर्फ 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है, जबकि मुझे 600 साल के लिए निष्काषित करना चाहिए था-
राहुल गांधी जी उत्तराखण्ड के गढ़वाली कुमाऊनी पप्पू नहीं हैं
बात निकली है तो दूर तलक जाएगी..
बात अभिव्यक्ति की आजादी की है..
बात #SpeakUpForDemocracy #SpeakUpForUttarakhand की है..
बात हम मुट्ठीभर, भारत की जनसंख्या के 1% उत्तराखण्डियों की है..
9 नवम्बर 2000 में उत्तराखण्ड बना तो BJP ने गलती की स्व0 नित्यानंद स्वामी जी को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया,
वही गलती राहुल गांधी जी ने 17 साल बाद 2017 में दोहरा डाली,
पहले थोड़ा इधर गौर फरमाइए-
1- प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखण्ड कांग्रेस, श्री प्रीतम सिंह (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
2- प्रदेश अध्यक्ष अनुशासन समिति, श्री प्रमोद कुमार सिंह उर्फ प्रमोद जाट (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
3- प्रदेश अध्यक्ष SC ST, श्री राजकुमार (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
4- प्रदेश अध्यक्ष IT, श्री अमरजीत सिंह (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
5- प्रदेश अध्यक्ष सेवादल, श्री राजेश रस्तोगी (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
6- प्रदेश अध्यक्ष किसान कांग्रेस, श्री राठी (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
7- प्रदेश अध्यक्ष युवा कांग्रेस, श्री सुमित भुल्लर (नॉन गढ़वाली/कुमाऊनी)
8- प्रदेश अध्यक्ष महिला कांग्रेस, श्रीमती सरिता आर्य (अपवाद एकमात्र कुमाऊनी)
(सभी ने गढ़वाली/कुमाऊनी को रिप्लेस किया)
अब थोड़ी बात उत्तराखण्ड के परिदृश्य की कर लेते हैं, उत्तराखण्ड में 2 मण्डल हैं गढ़वाल और कुमाऊँ, गढ़वाल मंडल में 3 लोकसभा सीट हैं व कुमाऊं मंडल में 2 लोकसभा सीट हैं। प्रत्येक लोकसभा सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा सीट हैं। एक सीट रामनगर कुमाऊं में होकर भी गढ़वाल लोकसभा सीट में है। यानी उत्तराखण्ड की 70 विधानसभा सीटों में 41 गढ़वाल में व 29 कुमाऊं में हैं।
इसमें भी हरिद्वार जिले की 12 विधानसभा सीट व उधमसिंहनगर की 9 विधानसभा सीट ही ऐसी हैं। जहां पर गढ़वाली कुमाऊनी लोग बहुमत में नहीं हैं या कहें कुछ कम हैं।
अब बहुसंख्यकों के इस आंकड़े को BJP सन 2000 में गलती करने के बाद समझ गई।
लेकिन आप वही गलती 17 साल बाद सन 2017 में करते हैं।
एक तरफ BJP एक के बाद एक गढ़वाली को देश के प्रमुख पदों पर आसीन करती आ रही है। तो कम से कम आप पार्टी के वो उत्तराखण्ड राज्य के अंदर ही, वह तो आसीन कर ही सकते हैं!
यहाँ एक बात और है 2017 विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड में बीजेपी को 57 व कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली। तो कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को हटा दिया।
लेकिन जब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 70 में से सिर्फ 05 सीटों पर ही आगे रही तो प्रदेश अध्यक्ष नहीं हटाया गए। जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में BJP को अबतक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत उत्तराखण्ड में हासिल हुआ, मतलब 60.7% मत!
चलिए इतना भी होता तो चलता, झेल ही लेते कमसकम हम तो…
लेकिन लगातार कांग्रेस मुख्यालय से गढ़वालियों कुमाऊनीयों को नोटिस, और नॉन गढ़वालियों कुमाऊनीयों को बड़ी-2 गलतियों के बाद भी कोई नोटिस नहीं, क्यों भाई….? क्यों यह क्षेत्रवाद फैला रहे हो कांग्रेस मुख्यालय से, क्यों?
अनुसाशन समिति के अध्यक्ष के भतीजे ने कांग्रेस भवन में थप्पड़बाजी की, प्रदेश महामंत्री ने BJP नेता के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली, IT अध्यक्ष ने चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ काम किया, एक IT जिला अध्यक्ष ने तो महिला नेत्री को अभद्र भाषा तक लिख डाली… कोई नोटिस नहीं, क्यों? क्योंकि सभी नॉन गढ़वाली नॉन कुमाऊनी हैं।
और नोटिस गढ़वाली कुमाऊनीयों को-
प्रदीप भट्ट जी, विजय पाल रावत जी, दर्शन लाल जी, आशा मनोरमा डोबरियाल जी, सजंय रावत जी,
संजय भट्ट को हरियाणा चुनाव में काम करते वक्त उत्तराखण्ड में नोटिस जारी हो जाता है, यही हाल रेनु नेगी जी का भी होता है।
जानते हो क्यों मिला इन्हें नोटिस क्योंकि इनके नाम के आगे गढ़वाली कुमाऊनी जात लिखी है।
क्या इसी दिन के लिए राज्य निर्माण आंदोलन हुआ था? क्या इसी दिन के लिए हमारी माताओं, बहनों, युवाओं, कर्मचारियों, बुजुर्गों ने कुर्बानियां दे कर राज्य हासिल किया…?
राजधानी देहरादून की अधिकांश विधानसभा सीटों पर CONGRESS गढ़वालियों को टिकट नहीं देती है, हमनें कभी न विरोध किया न कभी बुरा माना, क्योंकि अधिकार सभी का है। लेकिन आपको हैरानी होगी कि BJP राजधानी देहरादून में भी गढ़वालियों को टिकट देती है और गढ़वाली विधायक जीता कर लाती है।
अब इसे क्षेत्रवादी पोस्ट समझें तो पहले अपने गिरेबान में झांक लें कि आपने क्यों मजबूर किया यह सब लिखने के लिए…? … क्यों गढ़वालियों कुमाऊनीयों का हक मारा जा रहा है…? क्यों…?
संजय भट्ट
निवर्तमान प्रदेश प्रवक्ता
कांग्रेस, उत्तराखण्ड
9897914034
पढ़ ली? thanks आप सभी का ?
अभी हमारा जमीर जिंदा है -संजय भट्ट
जय हिंद जय उत्तराखण्ड जय उत्तराखंडियत