उत्तराखंड भाजपा के इन दो दिग्गजों का क्या है भविष्य, अब किस जोड़ तोड़ में ये दिग्गज

भारतीय जनता पार्टी 10 मार्च को आने वाली चुनावी परिणामों का इंतजार कर रही है, हालांकि फिलहाल पूर्ण बहुमत का दावा पार्टी की तरफ से किया जा रहा है लेकिन खबर है कि बहुमत ना हासिल करने की स्थिति में भी पार्टी जोड़-तोड़ के जरिए सरकार बनाने के लिए जरूरी प्रयासों को भी कर रही है। वैसे तो पार्टी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा है लेकिन कुछ दूसरे चेहरे भी है जो आजकल काफी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। इसमें प्रदेश के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम शामिल है, एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है और केंद्रीय नेतृत्व से भी वह लगातार मुलाकात कर रहे हैं तो वही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी काफी सक्रिय है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे, जिसके बाद इस मुलाकात को कई राजनीतिक मायने में समझा और सोचा जा रहा था।

आपको बता दें कि डॉ रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से सांसद है और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला से विधायक… इस बार विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिस्सा नहीं लिया है जाहिर है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक भविष्य क्या होगा इस पर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत के लोकसभा चुनाव लड़ने जैसी खबरों को भी बल मिला था हालांकि अभी लोकसभा चुनाव 2024 में लिहाजा इस पर ज्यादा कुछ कहना उचित नही है। उधर रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से सांसद तो है लेकिन उनके पास कोई दूसरी जिम्मेदारी नहीं है हालांकि उन्हें मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था।

बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह से विधानसभा चुनाव 2022 संपन्न हुआ है और इसमें किसी भी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार आने की संभावनाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं इस लिहाज से जोड़ तोड़ की स्थिति में इन दोनों नेताओं की क्या भूमिका होगी इस पर भी विचार करना जरूरी है। बताया जा रहा है कि यदि बहुमत पूर्ण रूप से नहीं आता है तो यह दोनों नेता जोड़-तोड़ को लेकर विशेष भूमिका में दिखाई दे सकते हैं। हालांकि राजनीतिक रूप से भविष्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत को केंद्र में संगठनात्मक रूप से जिम्मेदारी दी जाएगी या लोकसभा भेजा जाएगा इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा उधर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के पास लोकसभा के लिए फिर से चुनाव लड़ने का विकल्प तो है लेकिन जिम्मेदारी के रूप में वह किस रूप में दिखाई देंगे यह देखना दिलचस्प होगा उधर प्रदेश स्तर पर क्या इन दोनों नेताओं में से किसी को कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है यह भी देखना होगा। वैसे एक विकल्प प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी देखा जा रहा है दरअसल मदन कौशिक को लेकर जिस तरह का विरोध हुआ है उसके चलते चुनाव परिणामों के बाद उनका हटना तय माना जा रहा है लिहाजा क्या इन दोनों नेताओं मे किसी को प्रदेश की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है यह भी विचारणीय प्रश्न है।

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