कब नपेंगे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारी, मंत्री हरक सिंह बोले करवाएंगे जांच

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण से लेकर पेड़ कटान तक के मामले में एनटीसीए अपनी रिपोर्ट दे चुका है, टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण की भी पुष्टि की जा चुकी है लेकिन इस सब के बावजूद भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही। दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर नैनीताल हाई कोर्ट तक में मामला विचाराधीन है और वन विभाग हाई कोर्ट को जवाब देने में ही फंसा हुआ है। बड़ी बात यह है कि कोर्ट में चल रहे इन मामलों के बीच टाइगर रिजर्व निदेशक ने खुद यह मान लिया है कि पार्क क्षेत्र में अवैध निर्माण किया गया है यही नहीं अपनी रिपोर्ट में वह यह भी कहते हैं कि पाखरो रेंज में जिस जगह पर निर्माण की अनुमति मिली वहां निर्माण करने के बजाय कहीं दूसरी जगह निर्माण किया गया जिसकी मंजूरी अब तक नहीं मिली है।

मोरघट्टी में तो निर्माण के अवैध होने की बात पुष्ट कर दी गई, ना कोई वित्तीय मंजूरी ली गई ना कोई निर्माण की मंजूरी ली गई। उधर सरकारी पैसे से बने निर्माण को ध्वस्त करके सरकारी धन का भी दुरुपयोग किया गया। इतना कुछ हो गया लेकिन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक से लेकर प्रभागीय वन अधिकारी तक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब सरकार विभागीय मंत्री और प्रमुख वन संरक्षक से लेकर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को देना चाहिए। सवाल यह उठ रहा है कि एनटीसीए दिल्ली से अवैध निर्माण की जानकारी ले रहा है और कॉर्बेट में बैठे अधिकारी अवैध निर्माण पर आंख बंद किए हुए यह सब किसके संरक्षण में हुआ और निदेशक और प्रभागीय वन अधिकारी क्यों मौन रहे यह बड़ी जांच का विषय है। उधर इस मामले की निष्पक्ष जांच की संभावना तभी है जब यह तो न्यायिक जांच इस मामले में करवाई जाए या फिर बेहद ईमानदार अधिकारी संजीव चतुर्वेदी इस मामले की जांच खुद करें।

जिस तरह से कुछ निर्माण को अवैध होने की बात स्वीकारी गई है उसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों पर फौरन कार्रवाई हो जानी चाहिए थी लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि शासन से लेकर वन विभाग के अधिकारी तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों पर इस कदर मेहरबान है कि बड़े अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

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