इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत सरकार के उस फैसले के खिलाफ लामबंद दिख रहा हैं, जिसमें आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार दिया गया है। एलोपैथी चिकित्सकों ने इसको लेकर विरोधस्वरूप कल यानी शुक्रवार को ओपीडी बंद रखने का एलान भी किया है, लेकिन आईएमए के इस कदम से सबसे ज्यादा आहत आयुर्वेद चिकित्सक हैं, जिन्हें भारत सरकार की तरफ से तौहफा तो मिल गया, लेकिन अब आयुर्वेद चिकित्सक, एलोपैथी चिकित्सकों के विरोध के चलते केंद्र पर पड़ रहे दबाव के कारण इस फैसले के वापस लिए जाने को लेकर आशंकित हैं.. ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सक सवाल पूछ रहे हैं कि आखिरकार यदि आयुर्वेद के पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर्स को सर्जरी करने का अधिकार दिया जा रहा है तो ऐसे में एलोपैथिक चिकित्सकों को क्या समस्या है। यही नहीं आयुर्वेद चिकित्सकों ने इसे एलोपैथी चिकित्सकों की आयुर्वेद विरोधी मानसिकता तक करार दे दिया है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार देने की अधिसूचना जारी की है..जिसके बाद आयुर्वेद चिकित्सक अब 58 प्रकार की सर्जरी कर सकेंगे…बताया गया कि इसकी घोषणा साल 2016 में ही कर दी गई थी, जिसके बाद आयुर्वेद चिकित्सक काफी खुश है और उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत भी किया है। राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ डीसी पसबोला ने कहा कि एलोपैथिक चिकित्सक बिना पूरा प्रकरण जाने और समझे ही आयुर्वेद विरोधी मानसिकता को लिए अपना विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा डॉ डीसी पसबोला ने आई एम ए के विरोध और हड़ताल के फैसले को गलत ठहराते हुए इसकी कड़े शब्दों में आलोचना की है। उधर संघ के उपाध्यक्ष डॉ अजय चमोला ने भी आई एम ए के फैसले की घोर निंदा की है। उधर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हड़ताल के फैसले को नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन ने भी गलत ठहराया है। आयुष एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आरपी पाराशर ने इस मामले पर चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि आईएमए ने अपना अड़ियल रवैया नहीं छोड़ा तो एलोपैथिक डॉक्टर का व्यवसायिक बहिष्कार किया जाएगा।
उत्तराखंड में गुरुवार को 12 कोरोना के मरीजों की मौत, नए संक्रमित मरीजों का आंकड़ा भी 800 पार