उत्तराखंड वन विभाग में अब पीसीसीएफ हॉफ पर तलवार लटकने लगी है, खबर है कि राजीव भरतरी को हॉफ पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, और इस सब की वजह उस विषय को बनाया जा रहा है जो उनके अधीनस्थ बड़े अधिकारियों की कारस्तानी दिखाई देता है। बताया जा रहा है कि संरक्षित क्षेत्र में किए गए निर्माण को लेकर राजीव भरतरी की कुर्सी खतरे में है। हालांकि कुछ और दूसरे कारणों को भी इसमें जोड़े जाने की तैयारी है। लेकिन जिस विवादित निर्माण को लेकर उन्हें हटाने की कोशिश की जा रही है वो हकीकत में उनके अधीनस्थ अधिकारियों की स्वीकृति से निर्मित किया गया है, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल लगने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने इसका स्वतः संज्ञान लिया है और 8 नवंबर को हाईकोर्ट में वन विभाग को इसका जवाब देना है।
इसी वजह से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जे एस सुहाग ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है। वैसे आपको बता दें कि पीसीसीएफ राजीव भरतरी त्रिवेंद्र सरकार के दौरान हॉफ बनाए गए थे और उसके बाद से ही वन मंत्री हरक सिंह रावत और राजीव भरतरी में 36 का आंकड़ा दिखाई दिया था। राजीव भरतरी एक ईमानदार अधिकारी माने जाते हैं, और विभाग में भी कई अधिकारी उन्हें नहीं पचा पा रहे हैं। उधर खबर है कि अब विभाग का मुखिया विनोद कुमार सिंघल को बनाने की तैयारी है।
संरक्षित क्षेत्र में विवादित निर्माण को लेकर पहले भी खबरें लिखी जाती रही है और इस दौरान इस निर्माण का न केवल वन मंत्री ने बचाव किया था बल्कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग ने भी इसे सही माना था। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस निर्माण से जुड़े किसी भी पत्र को वन मुखिया को नहीं भेजे जाने की बात भी सामने आ रही है हालांकि यह जांच का विषय है। खास बात यह है कि एनटीसीए की तरफ से भी इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। अब देखना होगा कि वन विभाग में दूसरी लॉबी की गलती का खामियाजा वन विभाग के मुखिया को भुगतना पड़ता है या फिर गलती करने वालों पर भी कोई बड़ी कार्यवाही होती है।